Tamilnadu: मदुरै के मंदिर में प्रसाद में बांटी जाती है मटन बिरयानी, 83 सालों से चल रही परंपरा; जानें इसके पीछे की वजह

तमिलनाडु के मदुरै जिले में मुनियांदी स्वामी मंदिर में त्योहार के बाद प्रसाद के तौर पर मटन बिरयानी परोसी जाती है। यह परंपरा पिछले 83 सालों से चलती आ रही है और मटन बिरयानी प्रसाद लेने के लिए हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में इकट्ठा होते हैं। इतना ही नहीं इस प्रसाद के लिए सैकड़ों बकरों की बलि भी दी जाती है।

By Jagran NewsEdited By: Shalini Kumari
Updated: Sat, 24 Feb 2024 11:00 AM (IST)
Tamilnadu: मदुरै के मंदिर में प्रसाद में बांटी जाती है मटन बिरयानी, 83 सालों से चल रही परंपरा; जानें इसके पीछे की वजह
मंदिर में बांटा जाता है मटन बिरयानी का प्रसाद (एएनआई)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर में ऐसे कई मंदिर है, जिसकी बनावट शैली, चमत्कारिक घटनाएं और प्रसाद के कारण दुनिया भर में मशहूर होते हैं। उन्हीं में से एक तमिलनाडु के मदुरै जिले में तिरुमंगलम तालुक के वडक्कमपट्टी में स्थित एक मंदिर है। दरअसल, मदुरै जिले के मुनियांदी स्वामी मंदिर में त्योहार के बाद प्रसाद के रूप में बिरयानी परोसी जाती है।

हर साल जनवरी में आयोजित होता है महोत्सव

यह वार्षिक उत्सव दक्षिण तमिलनाडु में मनाया जाता है, क्योंकि लोग तमिलनाडु के क्षेत्रीय देवताओं, भगवान शिव और शक्ति के उपासक की पूजा करते हैं । इस मंदिर का नाम मूनियाननदी स्वामी मंदिर है, जहां साल में एक बार तीन दिनों के लिए एक वार्षिक महोत्सव मनाया जाता है। यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में गरमा-गरम मटन बिरयानी परोसी जाती है।

#WATCH | Madurai, Tamil Nadu: Devotees throng the annual festival at Muniyandi Swami Temple, where biryani is served as prasadam. Locals believe that biryani is the favourite food of the deity, Lord Muniyandi. pic.twitter.com/jb9rHaqmqK

— ANI (@ANI) February 23, 2024

83 साल पुरानी परंपरा का हो रहा पालन

दरअसल, इस मंदिर में 83 साल पुरानी परंपरा का पालन किया जा रहा है। इस साल भी 24 जनवरी को यह त्योहार मनाया जा रहा है। इस दौरान मंदिर में मौजूद भक्तजन और मंदिर के पास से गुजरने वाले एक-एक शख्स को बिरयानी का प्रसाद दिया जाता है।

इस बिरयानी को बनाने के लिए सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती है और कई रसोइयां मिलकर बिरयानी बनाते हैं। रातभर रसोइयां इसे बनाते हैं और सुबह से ही प्रसाद बांटना शुरू हो जाता है। केवल गांव ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से भी लोग यहां बिरयानी खाने और इस दौरान गांव में लगने वाले मेले को देखने आते हैं। गांव के अलावा मदुरै में भी कैम्प लगाकर इस बिरयानी को लोगों में बांटा जाता है। मूनियाननदी स्वामी को संतुष्ट करने के चलते इस भव्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

क्या है मान्यता?

इस उत्सव की शुरुआत 1973 में हुई थी, जहां मदुरै जिले के वडक्कमपट्टी गांव के एक निवासी ने होटल व्यवसाय शुरू किया था। उसका व्यवसाय काफी अच्छा चल रहा था और उसे लगातार सफलता मिल रही थी, जिसके कारण उसने अपने देवता को धन्यवाद देने के लिए एक भव्य दावत शुरू की। दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद गांव के लगभग सभी लोग होटल व्यवसायी बन गए हैं। इसके बाद से हर साल इस महोत्सव के जरिए यह लोग अपने देवताओं को धन्यवाद कहते हैं।

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यह होटल मांसाहारी भोजन परोसते हैं और इनके होटल का नाम भी अपने स्थानीय देवता मुनियांदी के नाम पर रखे जाते हैं। वर्तमान में, दक्षिण भारत में 500 से अधिक मुनियांदी होटल हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि उनके भगवान मुनियांदी को उनकी बिरयानी बहुत पसंद है।

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