Weather Update: खुशखबरी! इस साल सामान्य से 6% ज्यादा होगी बारिश, दो दिन में देशभर में सक्रिय हो जाएगा मानसून; बड़े शहरों के लिए ये है अलर्ट

IMD Weather Update 2024 देश के ज्यादातार इलाकों में मानसून सक्रिय हो गया है। उत्तर भारत में भी मानसून की आमद हो गई है। इसी बीच खुशखबरी यह है कि इस बार मानसूनी बारिश पर्याप्त से भी ज्यादा होगी। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मानसून सौगात की तरह होता है। लेकिन बारिश से बड़े शहरों की बदइंतजामी भी सामने आती है। जानिए मानसून से जुड़ी खास बातें।

By Jagran NewsEdited By: Deepak Vyas Publish:Fri, 28 Jun 2024 05:33 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 05:33 PM (IST)
Weather Update: खुशखबरी! इस साल सामान्य से 6% ज्यादा होगी बारिश, दो दिन में देशभर में सक्रिय हो जाएगा मानसून; बड़े शहरों के लिए ये है अलर्ट
IMD Weather Update 2024: देश के कई हिस्सों के साथ ही दिल्ली में भी मानसून की आमद हो गई है।

HighLights

  • इस साल देश में 106 फीसदी बारिश का अनुमान
  • बड़े शहरों में वाटर लॉ​गिंग की समस्या हो सकती है विकराल
  • दक्षिण पश्चिमी मानसून देश के कई इलाकों को करेगा कवर

दीपक व्यास, डिजिटल डेस्क। देश के कई इलाकों में मानसून सक्रिय हो गया है। शुक्रवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी मानसून की आमद हो गई है। खुशखबरी यह है कि इस साल मानसून देश पर मेहरबान रहेगा।

मौसम विज्ञान विभाग IMD के अनुसार इस साल देश में सामान्य से 6% ज्यादा बारिश होगी। इससे किसानों की उपज और देश की मानसून आ​धारित उद्योग धंधों पर सकारात्मक असर पड़ेगा। हालांकि विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि मानसूनी की अत्यधिक बारिश से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू जैसे कई बड़े शहरों में जलजमाव से बुरे हालात हो सकते हैं।

खासकर बड़े शहरों में बने अंडरपास में वाटर लॉगिंग की समस्या आम जन​जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। जानिए इस साल मानसून की कैसी रहेगी चाल? कितने फीसदी हिस्से को कौनसा मानसून कवर करेगा? मानसून की सामान्य से ज्यादा बरसात के पीछे कौनसे फैक्टर काम कर रहे हैं?

30 जून तक देश के इन 25 फीसदी इलाकों में भारी बारिश

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपने नवीनतम मौसम बुलेटिन में कहा है कि 30 जून तक पूरे भारत में बारिश होगी। साथ ही देश के 25% हिस्सों में भारी बारिश होने का अनुमान है। ये इलाके हैं कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्य।

पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में 4 महीने में 90% से ज्यादा बारिश

दरअसल, भारत के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में जून से सितंबर के महीनों के दौरान यानी 4 महीनों वार्षिक वर्षा का 90% से अधिक हिस्सा प्राप्त होता है। मौसम विभाग ने पहले ही यह आगाह कर दिया था कि इस साल सामान्य से ज़्यादा बारिश होगी और 2024 में जून से सितंबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य से लगभग चार प्रतिशत ऊपर रहेगा।

कैसे अलग अलग बंट जाता है मानसून?

वैसे जून से सितंबर तक देश में 80% से अधिक वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण होती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून हिंद महासागर से उत्पन्न होता है, जो दो शाखाओं में बंट जाता है- अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा। पश्चिम और मध्य भारत के राज्यों में अरब सागर से आने वाले मानसून से बारिश होती है।

अच्छी बारिश और कम बारिश के पीछे क्या फैक्टर खास जिम्मेदार?

देश में मानसूनी बारिश कैसी होगी, इसके पीछे दो प्रमुख फैक्टर जिम्मेदार होते हैं। जिस साल हमारे देश में कम बारिश होती है, उस साल अल नीनो फैक्टर जिम्मेदार होता है। वहीं जिस साल अधिक बारिश होती है उस साल ला नीनो फैक्टर जिम्मेदार होता है। जानिए ये दोनों फैक्टर क्या हैं।

एल नीनो और ला नीना: एक स्वाभाविक रूप से होने वाली समुद्री घटना-सदर्न आसिलेशन (ईएनएसओ) का चरण है जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में आवर्ती जलवायु पैटर्न के गर्म और ठंडे चरण हैं। यह पैटर्न हर 2 से 7 साल में अनियमित रूप से आगे-पीछे होता है, जिससे समुद्र की सतह के तापमान में बदलाव आते हैं और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हवा और वर्षा के पैटर्न में बदलाव आता है। अल नीनो: मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का गर्म होना। इंडोनेशिया में वर्षा कम हो जाती है जबकि उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में वर्षा बढ़ जाती है। ला नीना: मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का ठंडा होना, या औसत समुद्री सतह तापमान (एसएसटी) से कम होना। इंडोनेशिया में वर्षा बढ़ जाती है जबकि मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में वर्षा कम हो जाती है। भूमध्य रेखा पर चलने वाली सामान्य पूर्वी हवाएं और भी तेज हो जाती हैं। अल नीनो, है जो पूरे विश्व में गर्म मौसम लाता हैऔर इसके रहते मानसून कम होता है। वहीं ला नीना से मौसम खुशगवार होता है और अच्छा मानसून लाता है। अमेरिकी मौसम विभागों के अनुसार अगले दो महीनों में प्रशांत महासागर में ‘ला नीना’ (La Nina) आने की संभावना है। इसके चलते अगस्त-सितंबर में बदरा झूम कर बरसने वाले हैं।

अमेरिका के NOAA की बड़ी अपडेट, जमकर बरसेंगे बदरा

अमेरिका की राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के ताजा अपडेट के अनुसार अल नीनो जलवायु पैटर्न का गर्म चरण-समाप्त हो गया है। और ला नीना का ठंडा चरण, इस गर्मी के अंत में सक्रिय होने की संभावना है। इस वजह से जुलाई-सितंबर की अवधि में ला नीना बनने की 65% संभावना है। जो भारतीय मौसम विभाग (IMD) के पूर्वानुमान के अनुरूप है। अमेरिकी मौसम विभाग ने चार महीने के मानसून सीजन में औसत से 6% अधिक बारिश यानी 106% दीर्घकालिक औसत बारिश की भविष्यवाणी की है। वैज्ञानिकों के अनुसार, मौजूदा मौसम की स्थिति बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है। वैश्विक औसत तापमान में लगातार वृद्धि पश्चिमी विक्षोभ और अल नीनो जैसी बड़ी मौसम घटनाओं की गतिशीलता को प्रभावित कर रही है।

इन दिनों हो रही झमाझम बारिश की क्या है वजह?

इन प्रणालियों की विशेषताओं में बदलाव ने भारत में वर्षा को काफी हद तक प्रभावित किया है। इन दिनों हो रही तेज बारिश के लिये मौसम प्रणालियां ज़िम्मेदार हैं। मानसून और पश्चिमी विक्षोभ के बीच संपर्क होने से मध्य अक्षांश, पश्चिमी हवाओं या पश्चिमी विक्षोभ से जब मानसून टकराता है तो मानसून ट्रफ तलहटी के करीब आ जाता है। इसका मतलब है कि मानसून इस क्षेत्र से गुजर रहा है। इसलिए इन क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है। आईएमडी के अनुसार महाराष्ट्र से उत्तरी केरल तक ट्रफ रेखा औसत समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर तक फैली हुई है।

देश के इन राज्यों में आगे बढ़ चुका है साउथवेस्ट मानसून

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, साउथवेस्ट मानसून उत्तरी अरब सागर के शेष भागों, गुजरात, राजस्थान के कुछ अन्य हिस्सों, मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य हिस्सों, बिहार, पूरे उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के अधिकांश हिस्सों, पंजाब के हिस्सों में बढ़ चुका है ।

दिल्ली में लू की छुट्टी, जमकर होगी बारिश, जलजमाव बनेगा फजीहत

दिल्ली में लू की छुट्टी ही हो गई है। रुक-रुककर हो रही बारिश से मौसम सुहावना हो गया है। हालांकि शुक्रवार को हुई बारिश ने राजधानी दिल्ली की जल निकासी की पोल खोल दी है। जलजमाव से ट्रैफिक जाम की वजह से आम जनजीवन ठप हो गया है। अभी तो यह मानसून का आगाज है, तेज बारिश की यही स्थिति रही तो हालात बुरे हो सकते हैं। इस हफ्ते भारी से बहुत तेज बारिश होने की संभावना है, जिससे जल भराव हो सकता है। दिल्ली का तापमान में आने वाले दिनों में गिरावट आएगी और इसके अधितम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की उम्मीद है। राजस्थान में प्रदेश में मानसून की बरसात का दौर बीते 2 दिन से जारी है। राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में अच्छी बारिश हुई। मौसम विभाग ने राजस्थान के कुछ हिस्सों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

बड़े शहरों के लिए भारी बारिश बन सकती है बड़ा संकट

दिल्ली में मानसून की पहली ही बारिश ने शहर की बदहाल व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। देश की वरिष्ठ पर्यावरणविद डॉ. सीमा जावेद बताती हैं कि बड़े शहरों में तेज बारिश से हालात बुरे हो सकते हैं। क्योंकि इन शहरों में जलनिकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू जैसे शहरों में बने अंडरपास में पानी भर जाता है, जिससे ट्रैफिक जाम की बड़ी समस्या हो जाती है। पिछले साल बेंगलुरू में एक अंडरपास में पानी भर जाने से स्कूटी पर सवार लड़की की मौत हो गई थी। ऐसे में बड़े शहरों में ज्यादा सजगता और सतर्कता बरतने की जरूरत है।

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