''CM बना तो इसी बंगले में रहूंगा'', सत्ता मिलने के बाद किराया देकर पूरा किया सपना; ऐसे थे द्वारका प्रसाद मिश्र

द्वारका प्रसाद मिश्र जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उस समय निशांत मंजिल बंगले में श्यामला हिल्स पर रहते थे। आपको बता दें कि वह एक किराए का मकान था। यह बंगला आज भी अशोका लेकव्यू होटल के ऊपर स्थित है।

By Ashisha Singh RajputEdited By:
Updated: Thu, 25 May 2023 09:09 PM (IST)
''CM बना तो इसी बंगले में रहूंगा'', सत्ता मिलने के बाद किराया देकर पूरा किया सपना; ऐसे थे द्वारका प्रसाद मिश्र
मिश्र के मुख्य सचिव नरोन्हा, मिश्र के बारे में कहते थे कि वे 'द सी ग्रीन इनकरप्टेबल' थे।

नई दिल्ली, आशिषा सिंह राजपूत। Chief Minister Bungalow: द्वारका प्रसाद मिश्र का मुख्यमंत्रित्व काल मध्य प्रदेश की प्रशासनिक इतिहास में स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। उन्हें राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। वह एक साहित्यकार और प्रखर राजनेता के रूप में प्रसिद्ध थे।

नरोन्हा आखिर क्यों मानते थे डीपी मिश्र को 'द सी ग्रीन इनकरप्टेबल'?

मिश्र के मुख्य सचिव आर सी व्ही पी नरोन्हा, मिश्र के बारे में कहते थे कि वे 'द सी ग्रीन इनकरप्टेबल' थे। मिश्र सिविल सेवा के लिए एक आदर्श थे। उनकी समझ बिल्कुल स्पष्ट थी और कठिन से कठिन विषय या फाइल को निपटाने में उन्हें 10 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगता था।

मुश्किल घड़ी में अपने अधिकारियों का साथ देते थे डीपी मिश्र

द्वारका प्रसाद मिश्र नियम के पाबंद थे। वह चाहते थे कि सभी अधिकारियों को जनहित के प्रति समर्पित होना चाहिए। यही नहीं, कई बार मिश्र ने अपने अधिकारियों को ऐसे समय में संरक्षण दिया, जब उनके राजनीतिक जीवन पर भी असर पड़ सकता था। वह नैतिक और प्रशासनिक महत्व के मामलों में हमेशा अधिकारियों का साथ दिया करते थे।

पत्रकार और लेखक दीपक तिवारी द्वारा मध्य प्रदेश की राजनीति पर लिखी गई किताब 'राजनीतिनामा मध्यप्रदेश', के कुछ दिलचस्प किस्सों में से एक प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता द्वारका प्रसाद मिश्र के जीवन से जुड़ी रोचक घटना के बारे में इस खबर में पढ़ें।

किराए के बंगले में रहते थे मुख्यमंत्री

द्वारका प्रसाद मिश्र जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उस समय 'निशांत मंजिल' बंगले में श्यामला हिल्स पर रहते थे। आपको बता दें कि वह एक किराए का मकान था। यह बंगला आज भी अशोका लेकव्यू होटल के ऊपर स्थित है। मिश्र पहले और आखिरी मुख्यमंत्री थे, जो किसी प्राइवेट मकान में किराए पर रहे। उनसे पहले जो मुख्यमंत्री थे वह 'आईना बंगले' में रहते थे, जो आज के समय में वी आई पी गेस्ट हाउस है।

'आईना बंगले' को माना जाता था अशुभ

'आईना बंगले' के बारे में यह धारणा बन गई थी कि यह बंगला अशुभ है। इसका असर सबसे पहले रविशंकर शुक्ल पर दिखा। मुख्यमंत्री बनने के बाद जब वह इस बंगले में आए तो कुछ समय बाद ही सन 1956 के 31 दिसंबर की रात में उनका निधन हो गया था। हालांकि, उनकी मृत्यु उस बंगले में नहीं, बल्कि दिल्ली में हुई थी।

दूसरे मुख्यमंत्री डॉ कैलाश नाथ काटजू केवल एक कार्यकाल वहां पर रह पाए दूसरे कार्यकाल के चुनाव में उनकी हार हो गई थी। इसके अलावा, भगवंत राव मण्डलोई सन 1962 में मुख्यमंत्री अवश्य हुए लेकिन सन 1963 के सितंबर में उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी।

विलासितापूर्ण ढंग से रहने के शौकीन थे डीपी मिश्र

द्वारका प्रसाद मिश्र को भी नेहरू परिवार की तरह विलासितापूर्ण ढंग से रहने और अच्छे कारों में घूमने का शौक था‌। डीपी मिश्र जब विधायक भी नहीं थे तब एक दिन भोपाल की श्यामला पहाड़ियों पर घूमते हुए निशात मंजिल को देखकर उन्होंने कहा था कि एक दिन जब वे मुख्यमंत्री होंगे तो इसी बंगले में रहेंगे।