Punjab Politics: शिरोमणि अकाली दल और शिअद (अमृतसर) में क्यों आई दरार? ये बड़ी वजह आई सामने

शिरोमणि अकाली दल और शिअद (अमृतसर) में दरार की सबसे बड़ी वजह निकल कर सामने आई है। दरअसल अकाली दल (अमृतसर) के नेताओं ने अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में लगातार हार के कारण पार्टी के लोगों ने अध्यक्ष में बदलाव की मांग की है।

By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Publish:Sat, 29 Jun 2024 03:44 PM (IST) Updated:Sat, 29 Jun 2024 03:44 PM (IST)
Punjab Politics: शिरोमणि अकाली दल और शिअद (अमृतसर) में क्यों आई दरार? ये बड़ी वजह आई सामने
दल में दरार के ये बड़ी वजह आई सामने (फाइल फोटो)।

HighLights

  • शिरोमणि अकाली दल और शिअद (अमृतसर) में दरार
  • लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार को बताया जा रहा कारण

डिजिटल डेस्क, अमृतसर। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के अंदर की टीस अब खुलकर बाहर सामने आ गई है। वहीं, अब ये कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि शिरोमणि अकाली दल और शिअद (अमृतसर) में दरार क्यों आ गई।

वहीं, गुरुवार को अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि वो उपचुनाव में बीएसपी का समर्थन करेंगे। इसके साथ ही पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह और अकाली नेता बीबी जागीर कौर ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी है। वडाला ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल के नेतृ्त्व शिरोमणि अकाली दल को काफी नुकसान हुआ है।

शिअद बादलों की जागीर नहीं- वडाला

पूर्व विधायक गुरप्रताप वडाला ने कहा कि शिअद बादलों की जागीर नहीं है। भले ही सुखबीर बादल कितने भी हाथ खड़े करवा लें, लेकिन हकीकत यह है कि बादल परिवार के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है और लोगों ने आईना दिखा दिया है।

चंदूमाजरा ने कही ये बात

चंदूमाजरा ने कहा कि खुद को बचाने के लिए सुखबीर बादल चुनिंदा लोगों से मिलकर पार्टी को बर्बाद करने में लगे हैं। जिन लोगों ने भाजपा सरकारों में मंत्रिमंडल का लुत्फ उठाया, वे अब हमें भाजपा का एजेंट बता रहे हैं। जिन लोगों ने मंत्रिमंडल का आनंद लिया, उन्होंने सुरजीत सिंह बरनाला के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता रोका, चंडीगढ़ के मेयर और राष्ट्रपति पद के लिए वोट दिया व तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया।

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पहले भी हो चुकी शिअद में टूट

ऐसा शिरोमणि अकाली दल के इतिहास में पहली बार नहीं होने जा रहा है। इससे पहले भी कई बार दल में टूट हुई है। 1989 के बाद से तो दल इतने गुटों में टूट गया था कि उसको एक साथ लाने में कई दिग्गजो को मशक्कत करनी पड़ी। इसके साथ ही सबसे बड़ा बदलाव 1996 में तब आया जब मोगा अधिवेशन में पार्टी ने पंथ की बजाए पंजाबियों की नुमाइंदा पार्टी बनना मंजूर किया।

भारतीय जनता पार्टी के साथ समझौते को लेकर उन दिनों भी काफी घमासान हुआ। हालांकि प्रकाश सिंह बादल पूरी तरह से पार्टी पर कब्जा कर चुके थे और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में भी भारी जीत बनाकर उनकी पकड़ इतनी मजबूत हो गई कि इन चुनाव में कुलदीप सिंह वडाला सरीखे नेताओं की बगावत भी उन्हें रोक नहीं पाई।

शिरोमणि अकाली दल से शिअद (अमृतसर) में दरार का ये प्रमुख कारण

शिरोमणि अकाली दल में दरार आने का सबसे प्रमुख कारण ये बताया जा रहा है कि साल 2017 से 2024 के बीच हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार को बड़ी वजह बताया जा रहा है। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव , साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव, साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव और साल 2024 में लोकसभा चुनाव में हार को बड़ी वजह बताया। इस कारण शिअद (अमृतसर) के बागियों ने सुखबीर सिंह बादल को अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही है।

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