रवनीत सिंह बिट्टू को लोकसभा में बड़ा दायित्व देकर कांग्रेस ने पंजाब में भी दिए अहम संकेत

कांग्रेस ने रवनीत सिंह बिट्टू को लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता पद की जिम्मेदारी देकर पंजाब के नेताओं को अहम संकेत दिए हैं। पंजाब में इन दिनों सेकेंड लाइन का लीडर बनने की खींचतान है। बिट्टू को जिम्मेदारी दे कांग्रेस ने खास संकेत दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 03:47 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 03:47 PM (IST)
रवनीत सिंह बिट्टू को लोकसभा में बड़ा दायित्व देकर कांग्रेस ने पंजाब में भी दिए अहम संकेत
लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। कांग्रेस ने लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू को कांग्रेस ने संसदीय दल के नेता पद की जिम्मेदारी सौंपकर एक तीर से दो शिकार किए हैंं। एक तरफ कांग्रेस ने सिख चेहरे को आगे करके पंजाब में सेकेंड लाइन को आगे लाने के स्पष्ट संकेत दे दिए है। वहीं, मनीष तिवारी जैसे अनुभवी नेता को यह कमान न सौंपकर जी-23 को भी झटका दिया है। पंजाब कांग्रेस में लंबे समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद दूसरी पंक्ति का नेता बनने को लेकर खासी खींचतान चल रही है, जबकि 11 मार्च को ही 79 वर्ष को हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में अगली पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैंं, जबकि 2017 के चुनाव को उन्होंने अपना अंतिम चुनाव बताया था।

पंजाब में लंबे समय से दूसरी पंक्ति के लीडरशिप का स्थान खाली पड़ा हुआ है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा, प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ व अन्य नेता दूसरी पंक्ति के नेता बनने की दौड़ में शामिल हैंं। रवनीत बिट्टू भले ही सांसद होंं, लेकिन वह पंजाब में दूसरी पंक्ति के लीडर के रूप में खुद को स्थापित करने की दौड़ में शामिल हैंं।

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन को लेकर मुखर बयान दे रहे थे। बिट्टू जंतर-मंतर पर कृषि बिलों को वापस करवाने को लेकर धरना भी दे रहे थे। पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान बनकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले बिट्टू राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैंं। राहुल के कारण ही बिट्टू को 2009 में आनंदपुर साहिब से लोकसभा की टिकट मिला था। इसके बाद 2014 और 2019 में वह लुधियाना से चुनाव जीते।

कांग्रेस ने बिट्टू को लोकसभा में नेता बनाकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी संदेश देने की कोशिश की है कि अब वह पंजाब सेंकेंड लाइन को विकसित करेंगे। बिट्टू को भले ही कांग्रेस ने तब तक के लिए संसदीय दल के नेता का चार्ज दिया हो जब तक अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के चुनाव में व्यस्त हैंं, लेकिन इस बीच में पंजाब में काफी कुछ बदल जाएगा।

कैप्टन और बिट्टू के राजनीतिक संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे हैंं। वहीं, कैप्टन और राहुल के संबंध भले ही खराब न होंं, लेकिन बहुत मधुर भी नहीं रहे हैंं, क्योंकि राहुल ने जब प्रदेश की कमान प्रताप सिंह बाजवा को सौंपी थी तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ही थे, जिन्होंने अपने दम पर राहुल को फैसला पलटने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव होंं या 2019 का लोकसभा चुनाव कैप्टन ने हमेशा ही उस फैसले को साबित किया। 2017 में कांग्रेस पंजाब में 77 सीटें लेकर आई तो लोक सभा में 8 सीटें जीती।

इस बीच, कई ऐसे मौके आए जब कैप्टन के कद के आगे पार्टी हाईकमान भी छोटा पड़ जाता था। कांग्रेस हाईकमान के तमाम प्रयास के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू की न तो पार्टी में और न ही सरकार में एंट्री हो पाई है। वहीं, हाईकमान चाहकर भी सिद्धू के कैबिनेट से बाहर जाने को रोक भी नहीं सका। कृषि बिलों को लेकर पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के कद को और ऊंचा किया।

इन परिस्थितियों में बिट्टू को लोकसभा में पार्टी की कमान सौंपकर कांग्रेस ने न सिर्फ कैप्टन अमरिंदर सिंह को संकेत देने की कोशिश की वह अब पंजाब में नई लीडरशिप को तैयार करना चाहती है। जिसकी बात कांग्रेस के महासिचव व पंजाब के प्रभारी हरीश रावत लगातार करते आ रहे हैंं। वहीं, मनीष तिवारी जैसे नेता को यह जिम्मेदारी न सौंपकर कांग्रेस के लिए सिर दर्द बन रहे जी-23 को भी यह संकेत दिया कि उनके बगैर भी पार्टी अपनी जिम्मेदारी उठा सकती है। बता दें कि मनीष तिवारी वर्तमान में आनंदपुर साहिब से सांसद हैंं।

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पंजाब में लांच हो चुका है कैप्टन फार 2022

निकाय चुनाव में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कैप्टन फार 2022 लांच किया। उन्होंने घोषणा की थी कि 2022 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। जाखड़ की इस घोषणा का पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने भी समर्थन दिया था। हालांकि कांग्रेस का एक वर्ग इस बात से खफा भी है। कांग्रेस के विधायक परगट सिंह सीधे रूप से इस पर अपनी नाराजगी जता चुके हैंं। उनका कहना था कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा या किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा यह फैसला हाईकमान ने करना होता है।

प्रशांत किशोर को बनाया है प्रिंसिपल सलाहकार

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले दिनों 2017 में उनका कंपेन करने वाले प्रशांत किशोर को प्रिंसिपल सलाहकार नियुक्त किया है। प्रशांत किशोर को कैप्टन ने कैबिनेट रैंक भी दिया है। जिसके बाद से ही यह राजनीतिक चर्चा चल रही है कि कैप्टन ने बगैर पार्टी हाईकमान के 2022 में खुद के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।

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