पंजाब में खुशहाली लाएगी पराली; देश का सबसे बड़ा प्लांट जल्द होगा शुरू, पराली से बनेगी BIO CNG

Stubble Management पंजाब के लहरागागा में पराली से सीएनजी बनाने का देश का सबसे बड़ा प्लांट जल्द शुरू होगा। प्लांट में एक साल में एक लाख टन पराली की खपत होगी। इंडियन आयल प्लांट से तैयार बायो सीएनजी खरीदेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 10:44 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 11:59 AM (IST)
पंजाब में खुशहाली लाएगी पराली; देश का सबसे बड़ा प्लांट जल्द होगा शुरू, पराली से बनेगी BIO CNG
पंजाब के लहरागागा में बन रहा पराली प्लांट। जागरण

इन्द्रप्रीत सिंह, लहरागागा (संगरूर)। भविष्य में पंजाब में पराली जलेगी नहीं, बल्कि इससे बायो सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) बनाई जाएगी। यह उम्मीद लहरागागा में जल्द ही शुरू होने वाला पराली से बायो सीएनजी बनाने का देश का सबसे बड़ा प्लांट लगा रहा है। जर्मनी की बायो फ्यूल तकनीक की सबसे बड़ी कंपनी वरबियो का 220 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा प्लांट दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले हफ्ते में शुरू हो जाएगा। सभी तरह के परीक्षण का काम पूरा हो गया है। इस समय पराली टैंकरों में डाली जा रही है।

इस प्लांट में पूरे साल एक लाख टन पराली की जरूरत होगी, जिसको इकट्ठा करने के लिए रोजाना दस से ज्यादा घंटे काम हो रहा है। पंजाब में हर साल करीब करीब 200 लाख टन पराली निकलती है। पराली की समस्या से पूरी तरह से निजात पानी है तो यहा ऐसे 200 प्लांट लगाने होंगे। प्लांट से तैयार बायो सीएनजी इंडियन आयल कारपोरेशन खरीदेगा।

किसानों में बढ़ रही जागरूकता

संगरूर के गांव जलूर के प्रितपाल सिंह हर साल अपने पौने चार एकड़ खेत में पराली जला देते थे। इस बार उन्होंने पड़ोस के खेत में वरबियो कंपनी के क्वालिटी कंट्रोल कर्मचारियों नीलम और हरदीप सिंह को बड़े-बड़े बेलरों से पराली को इकट्ठा करवाते देखा तो उनसे रूबरू हुए। उनसे कंपनी के प्लांट के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने अपनी पराली भी उन्हें दे दी। इस तरह पौने चार एकड़ पराली जलने से बच गई

किसानों को मिला नया विकल्प

प्लांट की वजह से किसानों को पराली के निस्तारण का नया विकल्प मिल गया है। वरबियो कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष कुमार दैनिक जागरण प्रतिनिधि को जलूर गांव के दिलराज सिंह के खेत पर लेकर गए, जिनके 40 एकड़ खेत से पराली उठाने का काम चल रहा था। दिलराज ने पिछले साल पूरे 40 एकड़ खेत में आग लगाई थी। इस बार कंपनी से संपर्क होने के बाद उन्होंने आग नहीं लगाई। दिलराज कहते हैैं कि पराली को आग लगाने के कारण उनके पेड़ और पड़ोस के खेतों में खडी फसल भी जल जाती थी। इस बार ऐसा नहीं हुआ। पराली का धुआं नहीं हुआ।

किसान यूनियनों के दबाव में किसान जला रहे पराली

आशीष इससे दुखी हैं कि इतना बड़ा प्लांट लगाने के बावजूद किसान पराली जला रहे हैैं। इस पर कंपनी के स्ट्रा मैनेजर हरदीप सिंह ने बताया कि पराली जलाने वाले किसान उन्हें बताते हैैं कि किसान यूनियनों के डर से उन्हें ऐसा करना पड़ता है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहीं यूनियनें उन्हें पराली जलाने के लिए कह रही हैैं। हरदीप बताते हैैं कि हालांकि, किसान पूरे खेत में आग नहीं लगाते हैैं। बस एक-दो एकड़ में आग लगाते हैं। बाकी पराली हमें दे रहे हैं।

प्लांट में ऐसे बनेगी बायो सीएनजी

आशीष बताते हैं कि पराली को बड़े-बड़े टैंकरों में डाला जाएगा। बैक्टीरिया और पानी मिलाकर इसे गलाया जाएगा। इससे बनने वाली गैस को पाइपों के जरिये निकालकर अलग प्लांट में ले जाया जाएगा, जहां इसे साफ किया जाएगा। साफ होने के बाद इसे सिलेंडरों में भरकर इंडियन आयल के पंपों पर पहुंचाने का काम हम करेंगे।

उन्होंने बताया कि अवशेष पराली खाद का रूप ले लेगी। यह विशुद्ध आर्गेनिक खाद होगी, जिसे किसानों व खाद कंपनियों को बेचा जाएगा। जब प्लांट शुरू हो जाएगा तो हर रोज 33 हजार टन गैस और 550 टन खाद का उत्पादन होगा। अब तक हम 900 किसानों को जोड़ चुके हैं, जिनके पास 15 हजार एकड़ खेत है। प्लांट हेड पंकज जैन बताते हैं कि पंजाब में अभी तक के बेलर मात्र 25 से 35 किलो की बेल बनाते हैं, जबकि वरबियो के बेलर 450 से 550 किलो की बेल बनाते हैं। एक खेत से मात्र पांच से सात बेल ही बनती हैं। कंपनी के पास ऐसे आठ बेलर हैं।

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