Nirjala Ekadashi 2024: शिव और सिद्ध समेत इन 04 दुर्लभ योग में मनाई जाएगी निर्जला एकादशी, प्राप्त होगा अक्षय फल
यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। निर्जला एकादशी के दिन जल ग्रहण करने की भी मनाही है।
HighLights
- हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है।
- इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है।
- इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Nirjala Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की मनचाही मुराद भी पूरी होती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि एकादशी व्रत करने से साधक को मृत्यु उपरांत वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इसके लिए साधक एकादशी तिथि पर व्रत रख विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। निर्जला एकादशी हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने से साधक को सभी एकादिशियों के समतुल्य फल प्राप्त होता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो निर्जला एकादशी तिथि पर 04 शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को प्रातः काल 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 18 जून को सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। 17 जून को गायत्री जयंती है। इसके अगले दिन निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। निर्जला एकादशी वैष्णव समाज और सामान्य लोग एक साथ मनाएंगे। वहीं, साधक 19 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 28 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
शिव योग
निर्जला एकादशी पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग क निर्माण दिन भर है। वहीं, शिव योग का समापन रात 09 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है। ज्योतिष शिव योग को बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक पर भगवान शिव की भी कृपा बरसती है।
सिद्ध योग
सनातन धर्म में एकादशी तिथि पर रात्रि जागरण का विधान है। धार्मिक मत है कि एकादशी तिथि पर रात्रि जागरण करने से साधक को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। निर्जला एकादशी पर शिव योग के बाद सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। इस योग में रात्रि जागरण और भगवान विष्णु का सुमिरन करने से साधक को कभी न क्षय होने वाला फल और वरदान प्राप्त होगा।
त्रिपुष्कर योग
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को त्रिपुष्कर योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 03 बजकर 56 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 19 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है। इसके अलावा, शिववास योग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 25 मिनट से हो रहा है।
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