Kerala Temple: क्या आपने कभी सुना है शाकाहारी मगरमच्छ? जो केवल खाता है चावल-गुड़ से बना प्रसाद

यह कौन नहीं जानता कि मगरमच्छ मांसाहारी प्रवृत्ति के होते हैं। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि केरल के मंदिर में एक ऐसा मगरमच्छ है जो केवल चावल और गुड़ से बना प्रसाद खाता है। यकीन करना मुश्किल है लेकिन केरल के आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर में सालों से शाकाहारी मगरमच्छ मौजूद है जो श्रद्धालुओं के लिए वर्षों से आकर्षण का केंद्र रहा है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Sat, 25 May 2024 05:04 PM (IST) Updated:Sat, 25 May 2024 05:16 PM (IST)
Kerala Temple: क्या आपने कभी सुना है शाकाहारी मगरमच्छ? जो केवल खाता है चावल-गुड़ से बना प्रसाद
Anand Padmanabha Swamy Temple इस मंदिर में रहता है शाकाहारी मगरमच्छ।

HighLights

  • केरल में स्थित है आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर।
  • यहां की झील में रहता है एक शाकाहारी मगरमच्छ।
  • देवता का दूत माना जाता है यह दिव्य मगरमच्छ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vegetarian Crocodile: भारत में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं और अद्भुत रहस्यों को लेकर प्रचलित हैं। कई रहस्यमयी मंदिर ऐसे भी हैं, जो व्यक्ति को हैरत में डाल देते हैं। इस तरह का एक चमत्कारी मंदिर केरल के आनंद पद्मनाभस्वामी मंदिर में भी स्थित है।

इसलिए खास है ये मगरमच्छ

उत्तरी केरल के कासरगोड जिले में स्थित अनंतपुर गांव में श्री हरि विष्णु जी का श्री अनंत पद्मनाभस्वामी स्वरूप विराजित है। यह मंदिर एक झील के बीच में बना हुआ है, जिसे अनंतपुरा झील कहते हैं। इसी झील में दिव्य मगरमच्छ रहता है, जिसे देवता का दूत माना जाता है।

भगवान की पूजा के बाद भक्तों द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद उसे खिलाया जाता है। यह भी कहा गया है कि आज तक इस मगरमच्छ ने किसी को नुकसान नहीं पहुचाया। हालांकि 70 सालों से इस मंदिर में बबिया नाम का एक मगरमच्छ रह रहा था, जिसका 2022 में निधन हो गया। जिसके कुछ समय बाद यहां दूसरा मगरमच्छ देखा गया।

क्या है मान्यता

इस मंदिर की एक दिलचस्प मान्यता यह भी है कि इस कुंड में एक न एक मगरमच्छ हमेशा रहता है। यदि एक मगरमच्छ की मृत्यु भी हो जाए, तो दूसरा मगरमच्छ अपने आप आ जाता है। हालांकि यह बात अभी तक रहस्य ही बनी हुआ है कि यह मगरमच्छ कहां से आते हैं। आश्यर्च इसलिए और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस तालाब के आसपास ऐसा कोई तालाब या नदी नहीं है, जहां पर मगरमच्छ पाए जाते हों।

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ये है पौराणिक कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मगरमच्छ उस गुफा की रक्षा करता था, जिसमें भगवान गायब हो गए थे। पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पहले ऋषि विल्वमंगलथु स्वामी इस स्थान पर तपस्या कर रहे थे। तभी भगवान कृष्ण एक छोटे बालक के रूप में प्रकट होकर शरारत करने लगे। स्वामी ने उस बच्चे को डांटा, लेकिन वह फिर भी नहीं माना। अंत में गुस्से में आकर उन्होंने उस बालक को झील में धक्का दे दिया।

बाद में उन्हें यह आभास हुआ कि वह बच्चा कोई और नहीं बल्कि भगवान का ही रूप था, तो वह भी तालाब में उतर गए। लेकिन पानी में कोई नहीं मिला और उन्हें वहां एक गुफा रूपी दरार दिखाई दी। माना गया कि भगवान उसी गुफा से गायब हो गए थे। कुछ समय बाद उसी गुफा से मगरमच्छ आने लगे, जो मंदिर की रक्षा करते हैं।

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