Bada Mangal 2024: इस आरती के बिना अधूरी है हनुमान जी की पूजा, बिगड़े काम होंगे पूरे

ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार का बेहद खास महत्व है। इस माह के मंगलवार को बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि बड़े मंगल पर सच्चे मन से हनुमान जी की उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी तरह के दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही बजरंगबली की आरती जरूर करनी चाहिए।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Publish:Tue, 11 Jun 2024 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 11 Jun 2024 06:30 AM (IST)
Bada Mangal 2024: इस आरती के बिना अधूरी है हनुमान जी की पूजा, बिगड़े काम होंगे पूरे
Bada Mangal 2024: इस आरती के बिना अधूरी है हनुमान जी की पूजा, बिगड़े काम होंगे पूरे

HighLights

  • ज्येष्ठ माह के मंगलवार का खास महत्व है।
  • हनुमान जी की पूजा करने से संकट दूर होते हैं।
  • बिना आरती किए पूजा अधूरी रहती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Ji ki Aarti Lyrics: सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। बड़ा मंगल पर विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा-व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से हनुमान जी की उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी तरह के दुख और संकट दूर होते हैं। अगर आप भी बड़ा मंगल के अवसर पर बजरंगबली की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो हनुमान जी की पूजा कर आरती जरूर करें। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा और सभी मुरादें पूरी होंगी। साथ ही बिगड़े काम पूरे होते हैं। आइए पढ़ते हैं हनुमान जी की आरती।

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हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics)

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।

लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।

पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।

हनुमान जी के मंत्र

1.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशूल शिरोऽभ्यन्तर

शूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशूलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।

2.ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय

सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

3.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

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