Radha Mantra: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के समय करें राधा रानी के नामों का मंत्र जप, खुल जाएंगे किस्मत के द्वार

धार्मिक मत है कि बुधवार के दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण संग राधा रानी की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के घर में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहती है। राधा रानी को कई नामों से जाना जाता है। इनमें माधवी श्रीजी राधारानी किशोरी और कृष्णप्रिया आदि प्रसिद्ध हैं।

By Pravin KumarEdited By: Publish:Tue, 25 Jun 2024 08:05 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jun 2024 08:05 PM (IST)
Radha Mantra: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के समय करें राधा रानी के नामों का मंत्र जप, खुल जाएंगे किस्मत के द्वार
Radha Mantra: भगवान श्रीकृष्ण को कैसे प्रसन्न करें?

HighLights

  • सनातन धर्म में बुधवार को राधा कृष्ण जी की पूजा की जाती है।
  • भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से सकल मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
  • मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखने वाले साधक कृष्ण जी के शरण जाते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Radha Mantra: सनातन शास्त्रों में राधा रानी को कृष्ण की शक्ति स्वरूपा कहा जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि राधा रानी की पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। धर्म जानकारों की मानें तो एक बार राधा रानी प्रसन्न हो जाती हैं, तो साधक की किस्मत संवर जाती है। उस व्यक्ति विशेष को पृथ्वी लोक पर ही सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, मृत्यु के पश्चात बैकुंठ धर्म में उच्च स्थान प्राप्त होता है। अतः बड़ी संख्या में साधक बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण संग श्रीजी की पूजा करते हैं। अगर आप भी राधा रानी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन विधि-विधान से राधा कृष्ण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय राधा जी के नामों का मंत्र जप करें।

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राधा जी के 108 नाम

ॐ श्रीराधायै नम: ॐ राधिकायै नम: ॐ जीवायै नम: ॐ जीवानन्दप्रदायिन्यै नम: ॐ नन्दनन्दनपत्न्यै नम: ॐ वृषभानुसुतायै नम: ॐ शिवायै नम: ॐ गणाध्यक्षायै नम: ॐ गवाध्यक्षायै नम: ॐ जगन्नाथप्रियायै नम: ॐ किशोर्यै नम: ॐ कमलायै नम: ॐ कृष्णवल्लभायै नम: ॐ कृष्णसंयुतायै नम: ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नम: ॐ कृष्णप्रियायै नम: ॐ मदनमोहिन्यै नम: ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नम: ॐ कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नम: ॐ यशस्विन्यै नम: ॐ यशोगम्यायै नम: ॐ यशोदानन्दवल्लभायै नम: ॐ दामोदरप्रियायै नम: ॐ गोकुलानन्दकर्त्र्यै नम: ॐ गोकुलानन्ददायिन्यै नम: ॐ गतिप्रदायै नम: ॐ गीतगम्यायै नम: ॐ गमनागमनप्रियायै नम: ॐ विष्णुप्रियायै नम: ॐ विष्णुकान्तायै नम: ॐ विष्णोरंकनिवासिन्यै नम: ॐ यशोदानन्दपत्न्यै नम: ॐ यशोदानन्दगेहिन्यै नम: ॐ कामारिकान्तायै नम: ॐ कामेश्यै नम: ॐ कामलालसविग्रहायै नम: ॐ जयप्रदायै नम: ॐ जयायै नम: ॐ गोप्यै नम: ॐ गोपानन्दकर्यै नम: ॐ कृष्णांगवासिन्यै नम: ॐ हृद्यायै नम: ॐ चित्रमालिन्यै नम: ॐ विमलायै नम: ॐ दु:खहन्त्र्यै नम: ॐ मत्यै नम: ॐ धृत्यै नम: ॐ लज्जायै नम: ॐ कान्त्यै नम: ॐ पुष्टयै नम: ॐ गोकुलत्वप्रदायिन्यै नम: ॐ केशवायै नम: ॐ केशवप्रीतायै नम: ॐ रासक्रीडाकर्यै नम: ॐ रासवासिन्यै नम: ॐ राससुन्दर्यै नम: ॐ हरिकान्तायै नम: ॐ हरिप्रियायै नम: ॐ प्रधानगोपिकायै नम: ॐ गोपकन्यायै नम: ॐ त्रैलोक्यसुन्दर्यै नम: ॐ वृन्दावनविहारिण्यै नम: ॐ विकसितमुखाम्बुजायै नम: ॐ पद्मायै नम: ॐ पद्महस्तायै नम: ॐ पवित्रायै नम: ॐ सर्वमंगलायै नम: ॐ कृष्णकान्तायै नम: ॐ विचित्रवासिन्यै नम: ॐ वेणुवाद्यायै नम: ॐ वेणुरत्यै नम: ॐ सौम्यरूपायै नम: ॐ ललितायै नम: ॐ विशोकायै नम: ॐ विशाखायै नम: ॐ लवंगनाम्न्यै नम: ॐ कृष्णभोग्यायै नम: ॐ चन्द्रवल्लभायै नम: ॐ अर्द्धचन्द्रधरायै नम: ॐ रोहिण्यै नम: ॐ कामकलायै नम: ॐ बिल्ववृक्षनिवासिन्यै नम: ॐ बिल्ववृक्षप्रियायै नम: ॐ बिल्वोपमस्तन्यै नम: ॐ तुलसीतोषिकायै नम: ॐ गजमुक्तायै नम: ॐ महामुक्तायै नम: ॐ महामुक्तिफलप्रदायै नम: ॐ प्रेमप्रियायै नम: ॐ प्रेमरुपायै नम: ॐ प्रेमभक्तिप्रदायै नम: ॐ प्रेमक्रीडापरीतांग्यै नम: ॐ दयारुपायै नम: ॐ गौरचन्द्राननायै नम: ॐ कलायै नम: ॐ शुकदेवगुणातीतायै नम: ॐ शुकदेवप्रियायै सख्यै नम: ॐ रतिप्रदायै नम: ॐ चैतन्यप्रियायै नम: ॐ सखीमध्यनिवासिन्यै नम: ॐ मथुरायै नम: ॐ श्रीकृष्णभावनायै नम: ॐ पतिप्राणायै नम: ॐ पतिव्रतायै नम: ॐ सकलेप्सितदात्र्यै नम: ॐ कृष्णभार्यायै नम: ॐ श्यामसख्यै नम: ॐ कल्पवासिन्यै नम:

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