Ganesh Puja: गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है बुधवार का दिन, जानिए आरती व मंत्र

हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता के लिए कोई-न-कोई दिन समर्पित माना जाता है। इसी तरह गणेश जी के लिए भी बुधवार का दिन समर्पित माना गया है। ऐसे में बुधवार के दिन गणेश जी की आराधना करने से साधक को बप्पा की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। ऐसे में बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा के दौरान इस आरती का पाठ जरूर करना चाहिए।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Wed, 19 Jun 2024 07:30 AM (IST) Updated:Wed, 19 Jun 2024 07:30 AM (IST)
Ganesh Puja: गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है बुधवार का दिन, जानिए आरती व मंत्र
Ganesh Puja गणेश के दिन करें गणेश जी की पूजा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपने भक्तों के सभी दुख-दर्द हर लेते हैं। ऐसे में यदि आप भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करते समय गणेश जी की आरती और उनके मंत्रों का जाप जरूर करें।

गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो,

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

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गणेश जी के मंत्र (Ganesh ji ke mantra)

॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥ ॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। 'ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' 'ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।' ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश। ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।

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