Masik Shivratri 2024: जीवन के दुखों का चाहते हैं नाश, तो मासिक शिवरात्रि पर करें इस स्तोत्र का पाठ

हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। मासिक शिवरात्रि की पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Publish:Mon, 03 Jun 2024 02:10 PM (IST) Updated:Mon, 03 Jun 2024 02:10 PM (IST)
Masik Shivratri 2024: जीवन के दुखों का चाहते हैं नाश, तो मासिक शिवरात्रि पर करें इस स्तोत्र का पाठ
Masik Shivratri 2024: जीवन के दुखों का चाहते हैं नाश, तो मासिक शिवरात्रि पर करें इस स्तोत्र का पाठ

HighLights

  • हर माह में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
  • इस दिन महादेव की विशेष पूजा की जाती है।
  • पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम का पाठ जरूर करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi: मासिक शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार मासिक शिवरात्रि 04 जून को मनाई जाएगी। मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है। मासिक शिवरात्रि की पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।आइए पढ़ते हैं शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र।

यह भी पढ़ें: Ganga Dussehra 2024: कैसे हुआ धरती पर मां गंगा का अवतरण? पढ़ें इससे जुड़ी कथा

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

यह भी पढ़ें: Shani Temples: शनि जयंती पर करें इन मंदिरों के दर्शन, खुल जाएगा सोया हुआ भाग्य

अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

chat bot
आपका साथी