Apara Ekadashi 2024: कब है ज्येष्ठ माह की पहली एकादशी? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) का व्रत हिंदुओं के बीच बहुत महत्व रखता है। इस उपवास को रखने से सौभाग्य समृद्धि और खुशी में वृद्धि होती है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही श्री हरि विष्णु की कृपा मिलती है तो चलिए इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा नियम जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Thu, 23 May 2024 10:36 AM (IST) Updated:Thu, 23 May 2024 10:36 AM (IST)
Apara Ekadashi 2024: कब है ज्येष्ठ माह की पहली एकादशी? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
Apara Ekadashi 2024: कब है ज्येष्ठ माह की एकादशी ?

HighLights

  • सनातन धर्म में अपरा एकादशी को बहुत फलदायी माना जाता है।
  • इस तिथि पर श्री हरि विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है।
  • इस साल अपरा एकादशी 2 जून को मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Apara Ekadashi 2024: सनातन धर्म में अपरा एकादशी को बहुत फलदायी माना जाता है। इस तिथि पर श्री हरि विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। यह ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी है, जो 2 जून, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि जो साधक इस दिन का उपवास रखते हैं उन्हें धन-दौलत और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है, तो आइए इस व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

कब है ज्येष्ठ माह की एकादशी?

ज्येष्ठ माह की एकादशी तिथि की शुरुआत 2 जून, 2024 सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी। और इसका समापन अगले दिन 03 जून, 2024 मध्य रात्रि 02 बजकर 41 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल अपरा एकादशी 2 जून को मनाई जाएगी।

पूजा विधि

व्रती सुबह उठकर स्नान करें। भगवान श्री हरि के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान के कक्ष को अच्छी तरह साफ कर लें। एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं। भगवान विष्णु का ध्यान करें। पूजा में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें। अंत में आरती करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उनकी मदद करें। अगले दिन व्रती पारण समय में अपना व्रत खोलें।

श्री हरि पूजा मंत्र

दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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