Budh Pradosh Vrat 2024: कब है ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट करें तिथि और पूजन सामग्री

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh 2024) को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली का आगमन होता है। इस बार प्रदोष व्रत 19 जून 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा। ऐसे में इस दिन भगवान शिव की विधि अनुसार पूजा करें क्योंकि यह बहुत कल्याणकारी माना जा रहा है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Mon, 10 Jun 2024 10:35 AM (IST) Updated:Mon, 10 Jun 2024 10:35 AM (IST)
Budh Pradosh Vrat 2024: कब है ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट करें तिथि और पूजन सामग्री
Budh Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री -

HighLights

  • प्रदोष व्रत का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है।
  • प्रदोष व्रत पर शिव जी और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।
  • इस बार प्रदोष व्रत 19 जून, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है। यह दिन शिव जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो साधक भगवान शिव की पूजा करते हैं उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही भगवान शिव के आशीर्वाद से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। इस बार प्रदोष व्रत 19 जून, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

बुधवार को पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष (Budh Pradosh Vrat 2024) के नाम से जाना जाता है, तो आइए जब यह पर्व इतना विशेष है, तो इसकी पूजन सामग्री जान लेते हैं, जो इस प्रकार है -

बुध प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री

लाल व पीला गुलाल दूध शुद्ध जल गंगाजल शहद अक्षत कलावा फल, फूल, सफेद मिठाई कनेर का फूल आसन सफेद चंदन भांग धतूरा बेल पत्र धागा कपूर धूपबत्ती घी नया वस्त्र पंचमेवा प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक शिव चालीसा शंख घंटा हवन सामग्री आदि।

प्रदोष व्रत कब है ?

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 19 जून, 2024 सुबह 07 बजकर 28 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 20 जून को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए प्रदोष व्रत 19 जून दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

इस तिथि पर शाम की पूजा ज्यादा फलदायी होती है, जो इसके नाम से भी पता चलता है। ऐसे में इसकी पूजा प्रदोष काल में जरूर करें।

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