Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन इस विधि से करें भगवान सत्यनारायण की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा का दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा के लिए बहुत अच्छा होता है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही घर में देवी लक्ष्मी का वास सदैव के लिए बना रहता है। अगर आप इस दिन को और भी शुभ बनाना चाहते हैं तो आपको चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Fri, 07 Jun 2024 10:42 AM (IST) Updated:Fri, 07 Jun 2024 10:42 AM (IST)
Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन इस विधि से करें भगवान सत्यनारायण की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ऐसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा

HighLights

  • पूर्णिमा तिथि का हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व है।
  • यह दिन श्री हरि विष्णु और भगवान चंद्र की पूजा के लिए समर्पित है।
  • इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पूर्णिमा तिथि का हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन श्री हरि विष्णु और भगवान चंद्र की पूजा के लिए समर्पित है। यह तिथि हर महीने एक बार आती है, जिसमें कई सारे पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं। इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima 2024) 22 जून, 2024 को मनाई जाएगी, तो आइए भगवान सत्यनारायण की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त को जानते हैं -

ज्येष्ठ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 21 जून, 2024 को सुबह 06 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 22 जून, 2024 को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून, शनिवार के दिन मनाई जाएगी, लेकिन इसका व्रत 21 जून को किया जाएगा।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ऐसे करें भगवान सत्यनारायण की पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु, सत्यनारायण भगवान और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पंचामृत से उनका अभिषेक करें। गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं। पीले वस्त्रों और फूलों की माला चढ़ाएं। भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं और तुलसी पत्र अर्पित करें। पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाएं। पूजा मुहूर्त के अनुसार, सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ें। अंत में सत्यनारायण भगवान की आरती से पूजा का समापन करें। अगले दिन व्रत का पारण नियम अनुसार करें। व्रती तामसिक चीजों से दूर रहें।

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