Mahesh Navami 2024: महेश नवमी के दिन इस पूजा मुहूर्त पर करें शिव चालीसा का पाठ, होगा अद्भुत लाभ

महेश नवमी के दिन शिव जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन के सभी कष्टों का अंत होता है। अगर आप भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इस शुभ अवसर पर शिव चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही उनकी आरती भाव के साथ करनी चाहिए। बता दें इस बार यह पर्व 15 जून को मनाया जाएगा।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Fri, 14 Jun 2024 01:32 PM (IST) Updated:Fri, 14 Jun 2024 01:32 PM (IST)
Mahesh Navami 2024: महेश नवमी के दिन इस पूजा मुहूर्त पर करें शिव चालीसा का पाठ, होगा अद्भुत लाभ
Mahesh Navami 2024: शिव चालीसा का पाठ -

HighLights

  • हिंदू धर्म में महेश नवमी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है।
  • इस बार यह पर्व 15 जून, 2024 को मनाया जाएगा।
  • यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में महेश नवमी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। शिव जी के महेश नाम से इस पर्व का नाम महेश नवमी पड़ा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर शिव जी की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन के सभी कष्टों का अंत होता है।

अगर आप भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इस शुभ अवसर पर शिव चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही उनकी आरती भाव के साथ करनी चाहिए। बता दें, इस बार यह पर्व 15 जून, 2024 को मनाया जाएगा।

महेश नवमी, 2024 पूजा मुहूर्त

महेश नवमी (Mahesh Navami 2024) की पूजा 15 जून, 2024 सबुह 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक के बीच की जा सकेगी।

शिव चालीसा

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

।।चौपाई।।

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला।।

भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के।।

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये।।

वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे।।

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।

नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे।।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ।।

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ।।

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा।।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं।।

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला।।

कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई।।

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई।।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी।।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो।।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो।।

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई।।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी।।

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन।।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं।।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई।।

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी।।

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।

पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ।।

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा।।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे।।

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।

।।दोहा।।

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।

मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।

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