Mahesh Navami 2024: महेश नवमी के अवसर पर करें इस स्तोत्र का पाठ, शिव-पार्वती की मिलेगी कृपा

भगवान शिव को महेश के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर महेश नवमी मनाई जाती है। यह तिथि पूर्ण रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित मानी जाती है। तो चलिए जानते हैं कि आप किस प्रकार महेश नवमी पर भगवान शिव की कृपा के पात्र बन सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Fri, 14 Jun 2024 06:57 PM (IST) Updated:Fri, 14 Jun 2024 06:57 PM (IST)
Mahesh Navami 2024: महेश नवमी के अवसर पर करें इस स्तोत्र का पाठ, शिव-पार्वती की मिलेगी कृपा
Mahesh Navami 2024 महेश नवमी के अवसर पर करें इस स्तोत्र का पाठ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माना जाता है कि महेश नवमी के दिन देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से माहेश्वरी समाज के बीच ज्यादा प्रचलित है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समाज के संस्थापक भगवान शिव ही हैं। ऐसे में अगर आप इस विशेष तिथि पर उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपको शिव जी के साथ-साथ माता पर्वती की भी कृपा प्राप्त हो सकती है। तो चलिए पढ़ते हैं उमा महेश्वर स्तोत्र।

महेश नवमी शुभ मुहूर्त (Mahesh Navami Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 15 जून, 2024 को रात्रि 12 बजकर 03 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 16 जून को प्रातः 02 बजकर 32 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, महेश नवमी 15 जून, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।

उमा महेश्वर स्तोत्र (Uma Maheshwara Stotra)

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्याम्, परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।

नागेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्याम्, नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।

नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्याम्, विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।

विभूतिपाटीरविलेपनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्याम्, जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।

जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्याम्, पञ्चाक्षरी पञ्जररञ्जिताभ्याम् ।

प्रपञ्चसृष्टिस्थिति संहृताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्याम्, अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।

अशेषलोकैकहितङ्कराभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्याम्, कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।

कैलासशैलस्थितदेवताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्याम्, अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।

अकुण्ठिताभ्याम् स्मृतिसम्भृताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्याम्, रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।

राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां जटिलन्धरभ्याम्, जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।

जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्याम्, बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम्

शोभावती शान्तवतीश्वराभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्याम्, जगत्रयीरक्षण बद्धहृद्भ्याम् ।

समस्त देवासुरपूजिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्याम्, भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।

स सर्वसौभाग्य फलानि भुङ्क्ते, शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥

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