Masik Krishna Janmashtami 2024: इस दिन मनाई जाएगी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, नोट करें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 28 जून दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण की पूजा करने से जीवन के सभी मुश्किलों का अंत होता है। साथ ही संतान से जुड़ी सभी मुश्किलें समाप्त होती हैं। इसके साथ ही यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Sat, 22 Jun 2024 10:39 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jun 2024 10:39 AM (IST)
Masik Krishna Janmashtami 2024: इस दिन मनाई जाएगी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, नोट करें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Masik Krishna Janmashtami 2024: मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

HighLights

  • मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
  • इस बार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 28 जून दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
  • यह पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भक्त इस दिन का व्रत रखते हैं और श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। यह शुभ अवसर (Masik Krishna Janmashtami 2024) हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस माह यह पर्व 28 जून, 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सच्चे भाव के साथ व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही घर में शुभता का आगमन होता है।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जून को रात्रि 12 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन रात्रि को 12 बजकर 45 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 28 जून को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

साधक ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। एक लकड़ी की चौकी पर भगवान कृष्ण की एक प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत, गंगाजल व पवित्र जल से उनका अभिषेक करें। गोपी चंदन व हल्दी का तिलक लगाएं। माखन-मिश्री में तुलसी दल डालकर भोग लगाएं। भगवान कृष्ण के वैदिक मंत्रों का जाप करें। कृष्ण चालीसा का पाठ करें। आरती के साथ अपनी पूजा को समाप्त करें। पूजा के बाद शंखनाद जरूर करें।

पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। व्रती अगले दिन भगवान कृष्ण की पूजा के बाद सात्विक भोजन से अपने व्रत का पारण करें। इसके साथ ही गरीबों की मदद अवश्य करें।

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