Masik Shivratri 2024: कब मनाई जाएगी ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि? नोट करें डेट-शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) का व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है जो साधक इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस बार यह व्रत 4 जून 2024 को को रखा जाएगा। ऐसे में इस पर्व के आने से पहले इसकी पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त को अच्छी तरह से जान लेते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Sun, 26 May 2024 11:16 AM (IST) Updated:Sun, 26 May 2024 11:16 AM (IST)
Masik Shivratri 2024: कब मनाई जाएगी ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि? नोट करें डेट-शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Masik Shivratri 2024: कब है मासिक शिवरात्रि ?

HighLights

  • मासिक शिवरात्रि का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • यह व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है।
  • इस बार यह व्रत 4 जून को रखा जाएगा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है, जो साधक इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस बार यह व्रत 4 जून, 2024 को रखा जाएगा। ऐसे में इस पर्व के आने से पहले इसकी पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त को अच्छी तरह से जान लेते हैं।

कब है मासिक शिवरात्रि?

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 4 जून, 2024 रात्रि 10 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अगले दिन 5 जून, 2024 दिन रविवार को रात्रि 07 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा। पंचांग को देखते हुए, इस साल ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि 4 जून, 2024 को मनाई जाएगी।

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मासिक शिवरात्रि पूजन विधि

इस पवित्र अवसर पर भक्त सुबह उठकर स्नान करें। शिव जी के समक्ष व्रत का संकल्प लें। एक वेदी स्थापित करें और उसे विधि अनुसार सजाएं। फिर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। उनका पंचामृत से अभिषेक करें। महादेव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं। देवी पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। गाय के घी का दीपक जलाएं। खीर, मिठाई आदि का भोग लगाएं। सफेद फूलों की माला अर्पित करें। पूजा में बेलपत्र जरूर शामिल करें। पूजा में हल्दी, तुलसी और केतकी के फूल का उपयोग न करें। शिव तांडव स्तोत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। आरती से पूजा का समापन करें। अगले दिन सुबह शिव प्रसाद से अपना व्रत खोलें।

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