Masik Shivratri 2024: इस मासिक शिवरात्रि पर करें शिव जी के इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगी कष्टों से मुक्ति

मासिक शिवरात्रि के व्रत पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा होती है। इस माह की पहली मासिक शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार यह व्रत जीवन में सौभाग्य लेकर आता है जिन लोगों के विवाह या फिर किसी भी काम में समस्याएं आ रही हैं उन्हें इस शुभ दिन पर शिव मंदिर जाकर उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Publish:Mon, 05 Feb 2024 08:19 AM (IST) Updated:Mon, 05 Feb 2024 08:19 AM (IST)
Masik Shivratri 2024: इस मासिक शिवरात्रि पर करें शिव जी के इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगी कष्टों से मुक्ति
Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का पर्व

HighLights

  • मासिक शिवरात्रि के व्रत पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा होती है।
  • इस माह की पहली मासिक शिवरात्रि 8 फरवरी को मनाई जाएगी।
  • यह व्रत जीवन में सुख और सौभाग्य लेकर आता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान शंकर और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसलिए इस दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। इस दिन का उपवास शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है। मान्यता यह व्रत जीवन में सुख और सौभाग्य लेकर आता है, जिन लोगों के विवाह मुश्किलें आ रही हैं उन्हें इस विशेष दिन पर शिव मंदिर जाकर शिव जी के साथ माता पार्वती की विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए, साथ ही उनके इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह पाठ बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।।शिवशंकर स्तुति।।

''जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुणातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

जय भवकारक, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाकर की जय हो,

पार लगा दो भव सागर से, बनकर करूणाधार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय मनभावन, जय अतिपावन, शोकनशावन, शिव शम्भो

विपद विदारन, अधम उदारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

सरल हृदय,अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष मात्र में देते हैं,नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन,जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

आशुतोष! इस मोह-मयी निद्रा से मुझे जगा देना,

विषम-वेदना, से विषयों की मायाधीश छुड़ा देना,

रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,

दिव्य-ज्ञान- भंडार-युगल-चरणों को लगन लगा देना,

एक बार इस मन मंदिर में कीजे पद-संचार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,

शक्तिमान हो, दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो,

त्यागी हो, दो इस असार-संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो,

परमपिता हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,

स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुणा पुकार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

तुम बिन ‘बेकल’ हूँ प्राणेश्वर, आ जाओ भगवन्त हरे,

चरण शरण की बाँह गहो, हे उमारमण प्रियकांत हरे,

विरह व्यथित हूँ दीन दुःखी हूँ दीन दयालु अनंत हरे,

आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमंत हरे,

मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे,

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे''॥

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