Parashurama Jayanti 2024: मई में कब है परशुराम जयंती? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि परशुराम जन्मोत्सव के दिन भगवान परशुराम जी की उपासना करने से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस बार परशुराम जयंती 10 मई को मनाई जाएगी। साथ ही इसी दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाएगा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Publish:Mon, 29 Apr 2024 03:12 PM (IST) Updated:Mon, 29 Apr 2024 03:12 PM (IST)
Parashurama Jayanti 2024: मई में कब है परशुराम जयंती? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Parashurama Jayanti 2024: मई में कब है परशुराम जयंती? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

HighLights

  • भगवान विष्णु के ही अवतार हैं भगवान परशुराम।
  • इस बार परशुराम जयंती 10 मई को मनाई जाएगी।
  • इस अवसर पर भगवान परशुराम की पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क नई दिल्ली। Parashurama Jayanti 2024 Date Shubh Muhurat: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। साथ ही इसी दिन अक्षय तृतीया का भी पर्व होता है। भगवान परशुराम जगत के पालनहार भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। परशुराम जयंती के अवसर पर भगवान परशुराम की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से साधक को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। भगवान परशुराम जी का जनमोत्स्व 10 मई को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

यह भी पढ़ें: Rahu Upay: जीवन की मुश्किलें बढ़ा सकता है राहु, इन अचूक उपायों से मिलेगी राहत

परशुराम जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Parashurama Jayanti 2024 Shubh Muhurat)

तृतीया तिथि का प्रारंभ- 10 मई को सुबह 04 बजकर 17 मिनट पर

तृतीया तिथि समाप्त- 11 मई सुबह 02 बजकर 50 मिनट तक।

परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त- सुबह 07 बजकर 14 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक

परशुराम जयंती पूजा विधि (Parashurama Jayanti Puja Vidhi)

परशुराम जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद सनान कर साफ वस्त्र धारण करें। मंदिर की सफाई कर चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान परशुराम की तस्वीर या फिर मूर्ति विरजमान करें। अब उन्हें जल, चंदन, अक्षत समेत आदि चीजें अर्पित करें। अब घी का दीपक जलाकर आरती करें। मंत्रों का जाप करना फलदायी माना जाता है। इसके बाद प्रभु को भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को शामिल करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

इन मंत्रों का करें जाप ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।। ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।

यह भी पढ़ें: Vastu Tips: घर के मुख्य दरवाजे पर लगाएं घोड़े की नाल, सुख-सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

chat bot
आपका साथी