Sawan Shivratri 2024: कब मनाई जाएगी सावन शिवरात्रि? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हर महीने में भगवान शिव को समर्पित मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस अवसर पर भगवान शिव की उपासना करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि की डेट शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Publish:Sat, 29 Jun 2024 01:07 PM (IST) Updated:Sat, 29 Jun 2024 01:07 PM (IST)
Sawan Shivratri 2024: कब मनाई जाएगी सावन शिवरात्रि? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि को महत्वपूर्ण माना गया है

HighLights

  • सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय है।
  • सावन में पड़ने वाली शिवरात्रि का अधिक महत्व है।
  • इस माह में कावड़ यात्रा की शुरुआत होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Sawan Shivratri 2024: सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सावन में सावन सोमवार व्रत और मंगला गौरी व्रत किए जाते हैं। इसके अलावा सावन शिवरात्रि का भी पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाता है।

 

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सावन शिवरात्रि 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Sawan Shivratri 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी। वहीं, अगले दिन यानी 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सावन शिवरात्रि व्रत अगस्त 2, 2024, शुक्रवार को किया जाएगा।

सावन शिवरात्रि पूजा विधि (Sawan Shivratri Puja Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा विराजमान करें। उनका दूध, दही, गंगाजल और जल समेत आदि चीजों से अभिषेक करें। महादेव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं। देवी पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। इसके बाद देशी घी का दीपक जलाएं। आरती करें और शिव तांडव स्तोत्र, शिव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद प्रभु को भांग, धतूरा, बेलपत्र अर्पित करें। साथ ही फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कमान करें। लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

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