Shani Ulti Chal 2024: शनि की उल्टी चाल से ऐसे करें खुद का बचाव, नहीं पड़ेगा जीवन पर बुरा असर

भगवान शनि 30 जून मध्य रात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर अपनी प्रिय राशि कुंभ में उल्टी चाल चलेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि भगवान शनि 139 दिनों तक वक्री रहेंगे। ऐसे में इस दिन भगवान शनि की पूजा अवश्य करें। साथ ही पीपल के वृक्ष पर सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Fri, 28 Jun 2024 01:25 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 01:49 PM (IST)
Shani Ulti Chal 2024: शनि की उल्टी चाल से ऐसे करें खुद का बचाव, नहीं पड़ेगा जीवन पर बुरा असर
Shani Ulti Chal 2024: इन नियमों का करें पालन -

HighLights

  • भगवान शनि को न्याय का स्वामी माना जाता है।
  • शनि देव कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
  • शनि देव की पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शनि को न्याय का स्वामी माना जाता है। ऐसा कहा जाता शनि देव की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत होती है। हालांकि शनि देव की पूजा के साथ अपने कर्मों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वे व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं।

वहीं, ज्योतिष आकलन के अनुसार, 30 जून को मध्य रात्रि में सूर्य पुत्र शनि अपनी प्रिय राशि कुंभ में उल्टी चाल (Shani Ulti Chal 2024) शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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इन नियमों का करें पालन

इस दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। स्नान के पानी में गंगाजल अवश्य मिलाएं । शनिदेव की विधि अनुसार पूजा करें। भगवान शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें। पीपल के पेड़ के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस दिन दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है। गरीबों की मदद अवश्य करें। इस दिन छाया का दान करें। इस तिथि पर सात्विक भोजन ग्रहण करें। किसी का अपमान न करें। अपने कर्मचारियों तथा घरेलू सहायकों के साथ बुरा व्यवहार न करें। तामसिक भोजन जैसे- मांस खाने और शराब पीने से बचें। अभद्र भाषा के प्रयोग से बचें।

भगवान शनि पूजन मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।। ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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