भारत के लिए 5जी टेक्नोलॉजी में कदम रखना होगा मुश्किल

भारत में पहले से चल रहे नेटवर्क से 5जी में स्विच करना बेहद चुनौतीपूर्ण है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 31 May 2017 01:50 PM (IST) Updated:Thu, 01 Jun 2017 11:22 AM (IST)
भारत के लिए 5जी टेक्नोलॉजी में कदम रखना होगा मुश्किल
भारत के लिए 5जी टेक्नोलॉजी में कदम रखना होगा मुश्किल

नई दिल्ली (जेएनएन)। वैश्विक बाजारों के साथ 5जी तकनीक के मामले में कंधे से कंधा मिलाकर चलना भारत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा। इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स और विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में बैकहॉल के चलते मौजूदा नेटवर्क को 5जी पर स्थानांतरित करना एक बड़ी चुनौती है। वो भी तब जब भारत में सिर्फ 20 फीसद से कम नेटवर्क ही फाइबर ऑप्टिक केबल पर चल रहे हैं। रिलायंस कम्यूनिकेशन के ईवीपी जलज चौधरी ने कहा, "5जी की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक मजबूत बैकहॉल है जो फिलहाल भारत में मौजूद नहीं है। यह चुनौती भारत के लिए काफी बड़ी है क्योंकि यह सबसे अधिक समय लेने वाला भाग है और यह भारत में आज की स्थिति में बेहद महंगा साबित हो सकता है।

क्या है बैकहॉल?

बैकहॉल एक ऐसा नेटवर्क है जो सेल साइट्स को सेंट्रल एक्सचेंज से कनेक्ट करता है। अगर भारत में 2020 तक 5जी उपलब्ध हो भी जाता है और इस नेटवर्क को लाने के लिए आधारभूत चुनौतियों को कवर कर भी लेता है तो भी एक अच्छे 5जी नेटवर्क की उम्मीद तब तक नहीं की जा सकती जब तक भारत के पास विश्वसनीय और मजबूत बैकहॉल न हो।

फाइबर बैकहॉल देगा सुपरफास्ट इंटरनेट स्पीड:

भारत में 80 फीसद सेल साइट्स माइक्रोवेब बैकहॉल से कनेक्टेड हैं। जबकि बाकि की 20 फीसद साइट्स फाइबर के जरिए कनेक्टेड हैं। विश्लेषकों की मानें तो बैकहॉल की बैंडविंथ में समस्या है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह पुराने बैंड्स इस्तेमाल करते आ रहे हैं जो 300 Mbps की कैपेसिटी ही उपलब्ध कराते आ रहे हैं। जबकि फाइबर पर आधारित बैकहॉल अनलिमिटेड कैपिसिटी देने की क्षमता रखता है। चीन की टेलिकॉम गियर निर्माता कंपनी हुआवे के मार्केटिंग और इंटेग्रेटेड सॉल्यूशन के डायरेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि भले की भारतीय बाजार में नया स्पेक्ट्रम खोज लिया गया है और उसे वैश्विक स्पेकट्रम प्लान के साथ जोड़ भी दिया गया है, लेकिन फिर भी भारत को एक मजबूत बैकहॉल नेटवर्क की आवश्यकता है।

आपको बता दें कि मार्च में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में सैमसंग और रिलायंस जियो ने 4जी नेटवर्क को मिलकर और बेहतर बनाने के लिए अपने इनफिल एंड ग्रोथ प्रोजेक्ट का ऐलान किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए बयान से संकेत मिले हैं कि सैमसंग और जियो दोनों 5जी के लिए अभी से ही तैयार हैं। लेकिन, 5जी नेटवर्क 4जी की जगह नहीं लेगा बल्कि इसके लिए अलग तरह का ढांचा तैयार किया जाएगा।

गैजेट्स के बीच होगी तेज कनेक्टिविटी:

सैमसंग के अधिकारियों के अनुसार, 5जी एक बेहद ताकतवर वाई-फाई की तरह होगा, जो कुछ किलोमीटर के दायरे में अभी के मुकाबले लाखों गुणा ज्यादा स्पीड से डाटा ट्रांसफर करेगा। इससे अलग तरह के एप्लिकेशन, मशीनों और गैजेट्स के बीच काफी तेज कनेक्टिविटी देखी जा सकेगी। मसलन, आपके घर के गैजेट्स आपस में कनेक्ट होकर एक-दूसरे को जरूरत के हिसाब से कंट्रोल कर सकेंगे। केबल टीवी के लिए तार की जरूरत नहीं होगी और वायरलैस के जरिये कॉन्टेंट भेजा जा सकेगा। रिलायंस जियो के अधिकारियों ने बताया कि एलटीई में सुधार की बहुत गुजांइश और संभावनाएं हैं, लेकिन जहां तक आगे बढ़ने की बात है तो हम 5जी को अपनाने और लागू करने के लिए तैयार हैं।

एयरटेल और बीएसएनएल भी 5जी की रेस में:

अप्रैल की शुरुआत में एयरटेल और बीएसएनएल ने अपने ग्राहकों को 5G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नोकिया के साथ मिलकर एक नई रणनीति तैयार करने की घोषणा की थी। नोकिया के मार्किट हेड (इंडिया) संजय मलिक ने बताया, 'हमारा मकसद यहां 5G लाना है। उसके लिए किन चीजों की जरूरत है, यह देखा जाएगा। उन एप्लिकेशन की पहचान की जाएगी, जो टारगेट ऑडियंस के काम आ सकते हैं। यह 5G में एंट्री के लिए शुरुआती कामकाज है।

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