"हिन्दुस्तान की कहानी" से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की कई ऐसी पुस्तकें जिन्हें आप फुरसत में पढ़ सकते हैं

Pandit Jawaharlal Nehru Books in Hindi - पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

By Visheshta AggarwalPublish:Mon, 11 Dec 2023 02:49 PM (IST) Updated:Mon, 11 Dec 2023 02:49 PM (IST)
"हिन्दुस्तान की कहानी" से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की कई ऐसी पुस्तकें जिन्हें आप फुरसत में पढ़ सकते हैं
"हिन्दुस्तान की कहानी" से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की कई ऐसी पुस्तकें जिन्हें आप फुरसत में पढ़ सकते हैं

Pandit Jawaharlal Nehru Books in Hindi: पंडित जवाहर लाल नेहरू पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। उन्होंने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ा।

1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

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Pandit Jawaharlal Nehru Books in Hindi: पुस्तक की जानकारी

पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी एवं रूस का दौरा किया। बेल्जियम में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रुसेल्स में दीन देशों के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने 1927 में मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। पंडित नेहरू पर कई किताबें लिखी गई है और स्वयं पंडित नेहरू ने भी कई पुस्तकों को रुप दिया है।

1. Pita Ke Patra Best Books To Read

जवाहरलाल नेहरु की पुस्तक पिता के पत्र पुत्री के नाम का प्रेमचंद द्वारा अनुवाद। ये पत्र नेहरु ने अपनी बेटी इंदिरा प्रियदर्शिनी को तब लिखे थे जब वे दस साल की थीं। पुस्तक में कहते हैं कि जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अक्सर मुझसे बहुत सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता हूं, लेकिन, अब, जब तुम मसूरी में हो और मैं इलाहबाद में, हम दोनों उस तरह बातचीत नहीं कर सकते।

इसलिए मैंने इरादा किया है कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन छोटे-बड़े देशों की जो इन दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कथाएं लिखा करुं। तुमने हिंदुस्तान और इंग्लैंड का कुछ हाल इतिहास में पढ़ा है, लेकिन इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है। Book Price: Rs 137.

2. Hindustan Ki Kahani Best Books To Read

‘हिन्दुस्तान की कहानी’ पंडित जवाहरलाल नेहरू की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय कृतियों में से है। उन्होंने इसे अपनी नवीं और सबसे लम्बी कैद (9 अगस्त, 1942 से 15 जून, 1945) के दिनों में पांच महीनों के भीतर लिखा था। जेल की दीवारों में बंद होने पर भी पंडित जी इस पुस्तक में भारत की खोज की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।

वह हमें ईसा के कोई दो हज़ार साल पहले के उस ज़माने में ले जाते हैं, जब सिंध की घाटी में एक विकसित और सम्पन्न सभ्यता फल-फूल रही थी, जिसके खंडहर आज भी हमें मोहनजोदड़ो, हड़प्पा तथा अन्य स्थानों पर मिलते हैं, वहां से इतिहास के विभिन्न और विविध दौरों का परिचय कराते हुए वह हमें आधुनिक काल और उसकी बहुमुखी समस्याओं तक ले आते हैं। और फिर भविष्य की झांकी दिखाकर हमें ख़ुद सोचने और समझने के लिए कहते हैं। Book Price: Rs 328.

3. Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan Best Books To Read

पुस्तक की समीक्षा कहती है, कि चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ, जवाहरलाल नेहरू… किसी ने ठीक ही कहा है, नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे। अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता।

और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है। Book Price: Rs 450.

4. Gandhi, Nehru, Subhash Best Books To Read

यह आम धारणा है कि सरदार पटेल कांग्रेस के तीन दिग्गजों-महात्मा गांधी, पं. नेहरू और सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ थे। किंतु यह मात्र दुष्प्रचार ही है। हाँ कुछ मामलों में-खासकर सामरिक नीति के मामलों में-उनके बीच कुछ मतभेद जरूर थे, पर मनभेद नहीं था। परंतु जैसा कि इस पुस्तक में उद्घाटित किया गया है, सरदार पटेल ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिए जाने के प्रस्ताव पर गांधीजी का विरोध नहीं किया था, यद्यपि वह समझ गए थे कि ऐसा करने की कीमत चुकानी पड़ेगी।

इसी तरह उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पं. नेहरू के प्रति भी उपयुक्त सम्मान प्रदर्शित किया। उन्होंने ही भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में शामिल करने के लिए पं. नेहरू को तैयार किया था। यद्यपि नेहरू पूरी तरह इसके पक्ष में नहीं थे। जहाँ तक सुभाष चंद बोस के साथ उनके संबंधों की बात है, वे सन् 1939 में दूसरी बार सुभाषचंद्र बोस को कांग्रेस का य चुने जाने के खिलाफ थे। सुभाषचंद्र बोस ने जिस प्रकार सरदार पटेल के बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल-जिनका विएना में निधन हो गया था-के अंतिम संस्कार में मदद की थी, उससे दोनों के मध्य आपसी प्रेम और सम्मान की भावना का पता चलता है। अपने समय के चार दिग्गजों के परस्पर संबंधों और विचारों की झलक देती महत्त्वपूर्ण पुस्तक। Book Price: Rs 240.

5. Ek Mulakat - Jawaharlal Nehru Ke Sath Best Books To Read

किसी भी विश्वविद्यालय में अपने पठन-पाठन से सम्बंधित सुविधाओं को लेकर छात्र-आन्दोलन होना एक सामान्य सी बात है, लेकिन, यदि आप पाएं कि इन छात्र-आन्दोलनों के बीचों-बीच सत्ता-विरोधी ही नहीं अपितु भारत-विरोधी नारों के स्वर गूंजने लगें हैं तो आपके मन में चिंता के साथ-साथ यह जानने की उत्सुकता भी होने लगती है कि इन राष्ट्र- विरोधी नारों के मूलभूत कारण क्या हैं?

यह पुस्तक इन्हीं ऐतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक कारणों की खोज करने का एक छोटा सा प्रयास है – ताकि भारत की युवा पीढ़ी को भ्रमित होने से बचाया जा सके और समय रहते इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। Book Price: Rs 188.

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Posted By Visheshta Aggarwal