बेटे का बीमा क्लेम लेने के लिए पिता ने की हैवानियत की सारी हदें पार, 18 साल बाद खुला राज तो मच गई सनसनी

गाजियाबाद के कपड़ा कारोबारी विजयपाल ने बेटे अनिल का बीमा पाने के लिए कार में एक भिखारी को जिंदा जला दिया था। गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद में अनिल को गिरफ्तार किया और आगरा पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने साजिश में शामिल रामवीर सिंह को जेल भेज दिया है। मृत्यु प्रमाण-पत्र बनने के बाद विजयपाल ने बीमा क्लेम के रूप में 56 लाख रुपये ले लिए।

By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar Publish:Fri, 28 Jun 2024 12:22 AM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 12:22 AM (IST)
बेटे का बीमा क्लेम लेने के लिए पिता ने की हैवानियत की सारी हदें पार, 18 साल बाद खुला राज तो मच गई सनसनी
आगरा के के कपड़ा कारोबारी विजयपाल ने अपने बेटे के बीमा क्लेम लेने के लिए साजिश रची।(फोटो सोर्स: जागरण)

HighLights

  • 18 साल बाद कपड़ा कारोबारी की साजिश का पर्दाफाश
  • बेटा अहमदाबाद में गिरफ्तार
  • मामला खुला तो हाई कोर्ट से स्टे ले आया कारोबारी और भाई

जागरण संवाददाता, आगरा। 30 जून, 2006 में आगरा में एक युवक जिंदा जल गया था। शिनाख्त गाजियाबाद के कपड़ा कारोबारी विजयपाल ने अपने बेटे अनिल के रूप में की। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाई और कारोबारी ने बेटे का 56 लाख रुपये का बीमा क्लेम ले लिया। 18 साल बाद जब हादसे का पर्दाफाश हुआ तो पुलिस भी चौंक गई। कारोबारी ने बेटे अनिल का बीमा पाने के लिए कार में एक भिखारी को जिंदा जला दिया था।

गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद में अनिल को गिरफ्तार किया और आगरा पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने साजिश में शामिल रामवीर सिंह को जेल भेज दिया है। डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि 2006 में विद्युत पोल से टकराने के बाद जली कार में ड्राइविंग सीट पर बैठा युवक पूरी तरह जल गया था। पुलिस ने कार नंबर के आधार पर मूलरूप से भट्टा पारसौल (दनकौर) निवासी विजयपाल सिंह से संपर्क किया।

विजयपाल ने लिए बीमा के 56 लाख रुपये 

विजयपाल ने बताया कि उनका बेटा कारोबार के सिलसिले में कार से आगरा गया था। उसने जले हुए शव की पहचान बेटे अनिल के रूप में की। मृत्यु प्रमाण-पत्र बनने के बाद बीमा क्लेम के रूप में 56 लाख रुपये ले लिए। पुलिस ने इसके बाद फाइल बंद कर दी।

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने नवंबर, 2023 में बताया कि आगरा में जिस अनिल को कार में जिंदा जलना बताया गया था, वह अहमदाबाद में राजकुमार चौधरी के नाम से रह रहा है। उसने नए नाम से आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज भी बनवा लिए। उसके दो बच्चे हैं। उसने नई कार और आटो खरीदा है।

गोपनीय शिकायत पर जांच के बाद अनिल को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ हत्या और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके बाद आगरा जानकारी साझा की गई। पुलिस ने फिर से जांच शुरू की तो सच सामने आ गया। अनिल उर्फ राजकुमार अहमदाबाद जेल में है।

पिता के साथ चाचा और उसका दोस्त था शामिल, ले लिया स्टे 

पुलिस की जांच में सामने आया है कि बीमा वसूलने की साजिश में अनिल का पिता विजयपाल, उसका चाचा अभय सिंह और दोस्त रामवीर शामिल थे। अनिल के 18 साल के होने के बाद विजयपाल ने उसके अलग-अलग बीमा कराए थे। अहमदाबाद में केस खुलने के बाद विजयपाल और अभय ¨सह ने हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया। दोनों भाई गाजियाबाद में रहते हैं।

भिखारी को खाना खिलाकर किया बेहोश

रामवीर ने पुलिस को बताया कि अनिल ने अपने साथियों के साथ एक भिखारी को खाना खिलाने के बहाने पास बुलाया था। अनिल ने उसे अपने कपड़े पहनाए और खाने में बेहोशी की दवा मिला दी। उसके बेहोश होने के बाद ड्राइ¨वग सीट पर बिठाया और कार पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। कार में उसके जलने के बाद सभी लोग वापस चले गए। घटना के बाद अनिल को अहमदाबाद भेज दिया।

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