दिल के मरीजों के लिए काम की खबर; आगरा में हुआ मंथन, डाक्टर बोले- हार्ट ब्लाकेज का आकार भी बढ़ा, एक ही जगह डालने पड़ रहे तीन स्टेंट

Heart Attack In Youth हार्ट अटैक के कुल मरीजों में 50 प्रतिशत युवा कार्डियोलाजिकल सोसाइटी आफ इंडिया के राष्ट्रीय अधिवेशन में युवाओं में हार्ट अटैक पर जताई चिंता। कार्डियोलाजिकल सोसाइटी आफ इंडिया यूपी चैप्टर में एंजियोप्लास्टी बिना सर्जरी वाल्व रिप्लेसमेंट पर चर्चा तनाव के साथ तंबाकू और धूमपान कम उम्र में ह्रदय रोग का सबसे बड़ा कारण। डाक्टरों ने युवाओं में दिल की बीमारी पर किया मंथन।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
Updated: Mon, 19 Feb 2024 03:50 PM (IST)
दिल के मरीजों के लिए काम की खबर; आगरा में हुआ मंथन, डाक्टर बोले- हार्ट ब्लाकेज का आकार भी बढ़ा, एक ही जगह डालने पड़ रहे तीन स्टेंट
Agra News: हार्ट अटैक के कुल मरीजों में 50 प्रतिशत युवा

HighLights

  1. मोबाइल फोन ज्यादा इस्तेमाल करने से हार्ट अटैक का खतरा
  2. तंबाकू से धमनियों का फैलाव हो रहा कम

जागरण संवाददाता, आगरा। ह्रदय रोगियों में छोटे छोटे आकार के ब्लाकेज (ह्रदय की धमनियों में रुकावट ) मिलते थे। एक स्टेंट एंजियोप्लास्टी डालने से मरीज ठीक हो जाता था। मगर, अब छह सेंटीमीटर तक के ब्लाकेज मिल रहे हैं। एक मरीज में तीन तीन स्टेंट डालने पड़ रहे हैं।

होटल जेपी पैलेस में रविवार को कार्डियोलाजिकल सोसाइटी आफ इंडिया, यूपी चैप्टर की दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन एंजियोप्लास्टी, वाल्व रिप्लेसमेंट पर चर्चा की गई।

कार्डियोलाजिकल सोसाइटी आफ इंडिया, यूपी चैप्टर के अध्यक्ष डा. नवीन गर्ग ने बताया कि पिछले पांच वर्ष में ब्लाकेज का आकार बढ़ने के साथ ही एक धमनी की जगह तीनों धमनियों में ब्लाकेज मिलने लगे हैं। अभी तक 48 एमएम का स्टेंट ही उपलब्ध हैं, ऐसे में दो से तीन स्टेंट डालने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं है। नई तकनीकी से बिना सर्जरी के वाल्व रिप्लेसमेंट कर दिया जाता है। मगर, यह अभी महंगा है, इसमें 12 से 15 लाख रुपये तक का खर्चा आता है।

कोविड के बाद इन्फ्लेमेशन के लिए दवा देने से अटैक का खतरा कम

डा . भुवन तिवारी डा . राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के डा . भुवन तिवारी ने बताया कि कोविड से संक्रमित मरीजों में इन्फ्लेमेशन के कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है। कई सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं, इन्हें देने पर अटैक के खतरे का काम किया जा सकता है। एक वर्ष के बच्चे की धमनियों में कॉलेस्ट्राल जमने लगता है, व्यायाम करते रहने से इसका स्तर कम रहता है, ऐसा न करने पर ब्लाकेज का खतरा बढ़ जाता है।

समापन समारोह में डाक्टरों को सम्मानित किया गया

आयोजन अध्यक्ष डा. वीनेश जैन, सचिव डा. हिमांशु यादव आदि मौजूद रहे।

मोबाइल फोन ज्यादा इस्तेमाल करने से हार्ट अटैक का खतरा

डा . नवीन गर्ग एसजीपीजीआइ, लखनऊ के डा . नवीन गर्ग ने बताया कि एंजियोप्लास्टी कराने वाले 200 मरीजों में की गई स्टडी में सामने आया कि 40 प्रतिशत मरीजों की उम्र 40 से कम थी। जब उनकी काउंसिलिंग की गई तो सभी मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे थे। स्क्रीन टाइम छह घंटे से अधिक मिला। मोबाइल और लैपटाप पर काम करते समय फास्ट फूड का सेवन, व्यायाम न करने से यह समस्या बढ़ी है।

तंबाकू से धमनियों का फैलाव हो रहा कम

डा. रुपाली खन्ना एसजीपीजीआइ, लखनऊ की डा. रुपाली खन्ना ने बताया कि एक स्टडी में सामने आया कि जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं उनकी धमनियों का फैलाव कम हो जाता है। इन लोगों के ब्लाकेज होने पर हार्ट अटैक पड़ने से जान जाने का खतरा अधिक रहता है। जिम में अचानक से अधिक व्यायाम करने, स्टेरायड का सेवन करने से भी युवाओं में हार्ट अटैक की समस्या बढ़ी है।

ह्रदय की देखभाल के लिए किया जाएगा जागरूक

डा. वीनेश जैन आयोजन अध्यक्ष डा. वीनेश जैन ने बताया कि इलाज से ज्यादा ह्रदय रोग की रोकथाम है। दो दिवसीय कार्यशाला में हार्ट अटैक और ह्रदय रोगों की राेकथाम के लिए व्यवस्थित जीवनशैली, तनाव मुक्त जिदंगी, तंबाकू का सेवन ना करने और पूरी नींद लेने के लिए लोगों को डाक्टरों द्वारा जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

समापन में धन्यवाद दिया

आगरा में कार्डिकॉन 2024 के समापन में सचिव डॉक्टर हिमांशु यादव ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने देश भर से आए 500 से अधिक कार्डियोलॉजिस्ट का धन्यवाद दिया जिन्होंने आकर इस कांफ्रेंस में मंथन किया। मुख्य अतिथि विश्व विख्यात हृदय रोग सर्जन डॉ. रामाकान्त का धन्यवाद दिया। उन्होंने अपनी पूरी टीम का धन्यवाद दिया और बताया कि पिछले एक साल से उनकी टीम इस भव्य समारोह की तैयारी कर रही थी। डॉ हिमांशु यादव ने कहा कि उन्हें ख़ुशी है की इन्हें यह कांफ्रेंस आगरा में कराने का मौक़ा मिला। इस समारोह ने आगरा को कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में नयी पहचान दिलाई।