Krishna Janmashtami 2022: यहां तो नदीम और सुल्तान भी कान्हा के जन्म पर सजाते हैं झांकी

Krishna Janmashtami 2022 केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा काटते बंदी पेश कर रहे सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल। जन्माष्टमी से लेकर हर त्यौहार को मिलजुल कर हैं मनाते। जिला जेल परिसर में भी आठ मंदिर हैं। मंदिरों पर भी बंदियों द्वारा झांकी सजाई जा रही है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 18 Aug 2022 05:34 PM (IST) Updated:Thu, 18 Aug 2022 05:34 PM (IST)
Krishna Janmashtami 2022: यहां तो नदीम और सुल्तान भी कान्हा के जन्म पर सजाते हैं झांकी
आगरा सेंट्रल जेल में जन्माष्टमी की तैयारी करते बंदी।

आगरा, अली अब्बास। मोहन की बांसुरी के मैं क्या-क्या कहं जतन, लय उसकी मन की मोहनी धुन उसकी चित हरन। उस बांसुरी के आन का जिस जा हुआ बजन, क्या जल पवन नजीर पखेरू व क्या हिरन। कान्हा के बालपन को लेकर नजीर अकबराबादी की यह कविता केंद्रीय कारागार में बंद नदीम, सुल्तान, आस मोहम्मद समेत दर्जनों मुस्लिम बंदियों को प्रेरित करती है। अन्य बंदियों की तरह वह भी कान्हा के भक्त हैं। जो हर वर्ष जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की झांकी सजाने का इंतजार करते हैं। झांकियां सजाने को बढ़ चढकर हिस्सा लेते हैं। कोरोना काल के दो साल बाद जेल में इस जन्माष्टमी पर झांकी सजाने को लेकर बंदियों के बीच खूब उत्साह है।

केंद्रीय कारागार आगरा सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। यहां पर जन्माष्टमी, ईद समेत हर त्यौहार बंदी मिलजुल कर मनाते हैं। यहां नदीम और सुल्तान, आस मोहम्मद समेत अन्य बंदी भी कान्हा के भक्त हैं। वह हर वर्ष जन्माष्टमी पर नदीम, सुल्तान आस मोहम्मद आदि मुस्लिम बंदी साथी बंदियों के साथ मिलकर जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की झांकी सजाते हैं। इसके लिए वह सप्ताह भर पहले से ही तैयारी करने लगते हैं।वह जेल अधिकारियों से अपने को जन्माष्टमी पर झांकी सजाने के लिए शामिल करने का अनुरोध करते हैं।

जेल परिसर में बने मंदिरों के अलावा मुख्य गेट के बाहर तक सजावट का काम तीन दिन पहले से शुरू हो जाता है। नदीम, सुल्तान और आस मोहम्मद आदि बंदी झालरों को लगाने का काम करते हैं। वह अन्य बंदियों के साथ मंदिर के मुख्य द्वार की भूमि पर चित्रकारी करने, रोली बनाने, कान्हा की बालपन की लीलाओं को चित्रों को माध्यम से प्रदर्शित करने में भी सहयोग करते हैं। वहीं,जिला जेल परिसर में भी आठ मंदिर हैं। इन मंदिरों पर भी बंदियों द्वारा झांकी सजाई जा रही है।

नहीं खुलेंगे मुख्य द्वार के ताले

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी जन्माष्टमी पर केंद्रीय कारागार के मुख्य द्वार के ताले नहीं खुलेंगे। जिसका कारण यहां पर निरुद्ध 100 से अधिक कश्मीरी बंदी, पाकिस्तान एवं गुलाम कश्मीर के बंदी हैं।सुरक्षा के मद्देनजर जेल प्रशासन ने यह निर्णय लिया है।

कारागार में सभी बंदी मिलजुल कर हर त्यौहार मनाते हैं। जन्माष्टमी की झांकियां सजाने में मुस्लिम बंदी भी आगे रहते हैं। साथी बंदियों के साथ उसे मिलकर पूरे मन से सजाते हैं। परिक्षेत्र की अन्य जेलों में भी जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

वीके सिंह डीआइजी कारागार आगरा मंडल 

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