UP News: नए कानून में नाबालिग से दुष्कर्म में होगा मृत्युदंड, पुलिस कमिश्नर बोले- बदलाव के लिए तैयार आगरा पुलिस

New Criminal Laws दुष्कर्म पर अब धारा 376 की जगह धारा 66 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के मामले में अब धारा 69 के तहत मुकदमा दर्ज होगा। इसमें सजा दो वर्ष से लेकर अधिकतम 10 वर्ष तक की हो सकेगी। आईपीसी में अब तक झांसा देकर दुष्कर्म करने का मामला भी धारा 376 में ही शामिल होता था।

By Yashpal Singh Edited By: Abhishek Saxena Publish:Sat, 29 Jun 2024 09:34 AM (IST) Updated:Sat, 29 Jun 2024 09:34 AM (IST)
UP News: नए कानून में नाबालिग से दुष्कर्म में होगा मृत्युदंड, पुलिस कमिश्नर बोले- बदलाव के लिए तैयार आगरा पुलिस
New Criminal Laws: नए नियमों में हो रहा है बदलाव। सांकेतिक तस्वीर।

HighLights

  • एक जुलाई से लागू होंगे तीन नए काननू
  • आईपीसी और सीआरपीसी नहीं चलेगी

जागरण संवाददाता, आगरा। अंग्रेजों के जमाने के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) दो दिन बाद निष्प्रभावी हो जाएंगे। अब देश में एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने जा रहा है। नए कानून में धाराएं 511 से कम होकर 358 धाराएं बची हैं। इन्हीं धाराओं के तहत अब मुकदमे दर्ज होंगे और न्यायालय में विचारण के बाद सजा मिलेगी।

पुलिस आयुक्त जे रविन्द्र गौड ने बताया कि नए कानून को लागू करने के लिए पुलिस पूरी तरह तैयार है। पुराने मुकदमों में चार्जशीट और विचारण आईपीसी के तहत ही होगा।

एक जुलाई से मुकदमे नए कानून के तहत ही दर्ज किए जाएंगे। थाना प्रभारियों और विवेचकों से लेकर थाने के अन्य स्टाफ को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रत मेहरा ने बताया कि नए कानूनों में कुछ अपराधों की सजा बढ़ाई गई तो कुछ में जुर्माना बढ़ा दिया गया है। कुछ में नई परिभाषाएं जोड़ी गई हैं। भारतीय न्याय संहिता के तहत अब सामूहिक दुष्कर्म धारा 70 में आएगा।

नाबलिग से दुष्कर्म में ये धारा

आईपीसी में यह धारा 376 डी के तहत आता था। सामूहिक दुष्कर्म में बालिग पीड़िता के मामले में सजा पूर्ववत ही है। मगर, नाबालिग पीड़िता से सामूहिक दुष्कर्म उपधारा 70 (2) में आएगा। इसमें आजीवन कारावास के साथ ही वैकल्पिक दंड के रूप में मृत्यु दंड भी रखा गया है। जबकि यह पहले केवल 12 वर्ष से कम आयु की पीड़िता के मामले में ही होता था।

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नए कानून में यह भी बदलाव

पांच व उससे अधिक व्यक्तियों की भीड़ द्वारा मूल वंश, जाति, समुदाय, लिंग व अन्य आधार पर किसी व्यक्ति की हत्या पर आजीवन कारावास से मृत्युदंड तक की सजा। विदेश में रहकर अथवा रहने वाला कोई व्यक्ति यदि कोई घटना कराता है तो वह भी आरोपित बनेगा। अपराध में किसी बालक को शामिल कराने वाले को तीन से 10 वर्ष तक की सजा की व्यवस्था की गई है। राजद्रोह के स्थान पर भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य को धारा 152 के तहत दंडनीय बनाया गया है।आइपीसी में दी गई राजद्रोह की धारा 124- ए पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। चोरी एक से अधिक बार करने वाले को पांच वर्ष तक के कारावास की सजा। छोटे अपराध जिनमें तीन वर्ष से कम की सजा है, उनमें आरोपित यदि 60 वर्ष से अधिक आयु का है अथवा गंभीर बीमार/आशक्त है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उपाधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य। निजी व्यक्ति द्वारा किसी आरोपित को पकड़ने पर उसे छह घंटे के भीतर पुलिस के हवाले करना होगा। -गंभीर अपराध की सूचना पर घटनास्थल पर बिना विचार करे शून्य पर एफआइआर दर्ज होगी। ई-एफआइआर की दशा में सूचना देने वाले व्यक्ति को तीन दिन के भीतर हस्ताक्षर करने होंगे। एफआइआर की प्रति अब सूचनादाता के साथ-साथ पीड़ित को भी मुफ्त दी जाएगी। तीन से सात वर्ष से कम की सजा वाले अपराध में थानाध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेकर - एफआइआर दर्ज करने से पहले 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच कर सकेंगे। दुष्कर्म व एसिड अटैक के मामले में विवेचना के दौरान पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा। महिला मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज करेंगे।

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नए कानूनों में ये खास

तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी जरूरी। 90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य। गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत के तीन बाद थाने जाकर कर सकेंगे हस्ताक्षर। 60 दिन के भीतर आरोप होंगे तय, मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय। डिजिटल एवं तकनीकी रिकॉर्ड दस्तावेजों में शामिल। लोक सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य। छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य। पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम, एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत।
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