यात्रीगण कृपा ध्‍यान दें, अब नहीं मिला करेगी गत्‍ते वाली टिकट, रेलवे ने लगाया ब्रेक

लगातार हाईटेक हो रही रेलवे ने अब 166 साल पुरानी टिकट के सफर को खत्म कर दिया है। आगरा मंडल के 29 स्टेशनों पर यह टिकट मिलता है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 07 Jun 2019 02:23 PM (IST) Updated:Fri, 07 Jun 2019 02:23 PM (IST)
यात्रीगण कृपा ध्‍यान दें, अब नहीं मिला करेगी गत्‍ते वाली टिकट, रेलवे ने लगाया ब्रेक
यात्रीगण कृपा ध्‍यान दें, अब नहीं मिला करेगी गत्‍ते वाली टिकट, रेलवे ने लगाया ब्रेक

आगरा, जागरण संवाददाता। रेलवे में अंग्रेजों के जमाने का गत्ते वाला रेल टिकट अब बंद होने वाला है। रेलवे ने इसकी छपाई बंद कर दी है। जिन स्टेशनों पर इन टिकट का स्टॉक बचा है, उसके खत्म किया जाएगा। इसके बाद से अनरिजर्व टिकट सिस्टम (यूटीएस) के तहत यात्रियों को टिकट दी जाएंगी। 

रेलवे द्वारा छोटे व हॉल्ट स्टेशनों पर पहले से प्रिंटेड कार्ड बोर्ड यानी गत्ते की टिकट दी जाती है। इन टिकट की छपाई पर रेलवे द्वारा 31 मई से रोक लगा दी गई है। जून में इन टिकट की बिक्री पूरी तरह से खत्म करनी है। छोटे स्टेशनों पर बिजली, कंप्यूटर की व्यवस्था न होने के चलते रेलवे गत्ते की टिकट से ही काम चला रहा था, लेकिन लगातार हाईटेक हो रही रेलवे ने अब 166 साल पुरानी टिकट के सफर को खत्म कर दिया है। आगरा मंडल के 29 स्टेशनों पर यह टिकट मिलता है। जुलाई तक सभी हॉल्ट स्टेशनों पर बिजली और कंप्यूटर की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद से इन स्टेशनों पर मोटे कागज पर कंप्यूटर से प्रिंटेड टिकट मिलेंगे। सीनियर डीसीएम आशुतोष सिंह ने बताया कि जिन स्टेशनों पर पुराना स्टॉक है, उन्हें खत्म किया जा रहा है। सभी स्टेशनों पर यूटीएस की व्यवस्था की जा रही है।

प्लेटफॉर्म टिकट में हो रहा प्रयोग

राजा मंडी रेलवे स्टेशन पर गत्ते वाली टिकट का इस्तेमाल प्लेटफॉर्म टिकट के रूप में किया जा रहा है। पहले सुबह इंटरसिटी ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की लंबी लाइन होने पर कभी-कभी इस टिकट का प्रयोग किया जाता था।

166 साल पुराना है इतिहास

देश में रेलगाड़ी की शुरुआत 1832 से हुई थी, लेकिन आम जनता के लिए रेल का सफर 1853 से शुरु हुआ। उस समय जो टिकट मिलता था, वह चौकोर गत्ते का होता था। यही गत्ते का टिकट अभी तक चलन में है। ब्रिटेन में सबसे पहले 1840 में गत्ते वाली टिकट का इस्तेमाल हुआ था। 76 साल पहले भारत में इसकी प्रिंटिंग यूनिट स्थापित हुई थी। इससे पहले भारत में ब्रिटेन से ही छपी हुई टिकट आती थीं।  

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