भट्ठे से 68 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया

अलीगढ़ : अकराबाद क्षेत्र में दिल्ली की राष्ट्रीय मानवाधिकार की टीम ने पुलिस-प्रशासन के साथ गुरुवार क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Mar 2017 02:43 AM (IST) Updated:Fri, 10 Mar 2017 02:43 AM (IST)
भट्ठे से 68 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया
भट्ठे से 68 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया

अलीगढ़ : अकराबाद क्षेत्र में दिल्ली की राष्ट्रीय मानवाधिकार की टीम ने पुलिस-प्रशासन के साथ गुरुवार को जिले में बड़ी कार्रवाई की। अकराबाद क्षेत्र के सुहावली चितरौली गांव के भट्ठे से 20 परिवारों को मुक्त कराया गया। भट्ठा संचालक द्वारा इन परिवार के 68 लोगों से बीते पांच महीने से बंधुआ मजदूरों के रूप में काम कराया जा रहा था। इनके साथ आएदिन मारपीट भी होती थी। दिल्ली के ही एक एनजीओ की शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई। अब प्रशासन भट्ठा स्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।

कोल तहसील में सुहावली-चितरौली गांव निवासी राहुल कुमार द्वारा गांव में ही जय मणि बाबा ईट उद्योग के नाम से एक भट्ठा संचालित है। छह महीने पहले बिहार के गया से 20 परिवार के करीब 68 लोग यहां काम की तलाश में आ गए। भट्ठा मालिक ने उन्हें अपने यहां काम पर रख लिया, लेकिन उन्हें समय से मजदूरी नहीं दी गई। जब वह मजदूरी मांगते तो उनके साथ मारपीट की जाती। बीते दिनों मजदूरों ने इसकी शिकायत एक एनजीओ संचालक से। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इसकी जानकारी दी। गुरुवार को मानवाधिकार की टीम ने मजदूरों को मुक्त कराने के लिए यहां प्रशासनिक अफसरों से संपर्क किया। यहां से एसीएम द्वितीय पीडी गुप्ता, उप श्रम आयुक्त, नायाब तहसीलदार , सीओ व अकराबाद थाना एसओ विनोद कुमार सिंह के साथ पुलिस बल के साथ छापामार कार्रवाई की। टीम के वहां पहुंचते ही भट्ठा मालिक एवं मुनीम मौके से भाग गए। टीम ने सभी मजदूरों को मुक्त करा दिया। मजदूरों ने इस दौरान अफसरों को घटना के बारे में पूरी जानकारी दी। छापामार कार्रवाई में दिल्ली की टीम से उप्पल सिंह, विनीत कुमार आदि शामिल रहें। मजदूरों की मेडिकल जांच भी की गई।

इनसर्ट ही--

एफआइआर की हो रही तैयारी:

मानवाधिकार की टीम के निर्देशानुसार प्रशासन अब भट्ठा संचालक पर मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है। एसीएम द्वितीय पीडी गुप्ता ने बताया कि किसी को बंधुआ बनाकर काम कराना कानूनी जुर्म है। यह मानव के अधिकारों के खिलाफ है। करीब छह महीने से यहां मजदूर बंधुआ थे।

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--सुरजीत पुंढीर--

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