कुछ ऐसे हैं बाबा के ठाठ बाट: खचाखच भीड़... सफाई से सुरक्षा तक हर इंतजाम स्वयंसेवकों के पास, मीडिया से दूरी

बाबा के ठाठ बाट किसी वीवीआइपी से कम नहीं हैं। जिस जिले में बाबा का कार्यक्रम निर्धारित होता है वहां तीन-चार दिन पहले सैकड़ों की तादाद में स्वंय सेवक पहुंच जाते हैं। सफाई से लेकर सुरक्षा तक के इंतजाम इन्हीं स्वयंसेवकों के हाथों में होती है। खास बात ये है कि इनके कार्यक्रम में मीडिया को आने की अनुमति नहीं होती है।

By Nitesh Srivastava Edited By: Nitesh Srivastava Publish:Tue, 02 Jul 2024 07:21 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jul 2024 07:21 PM (IST)
कुछ ऐसे हैं बाबा के ठाठ बाट: खचाखच भीड़... सफाई से सुरक्षा तक हर इंतजाम स्वयंसेवकों के पास, मीडिया से दूरी
पांच बार अलीगढ़ में सत्संग कर चुके हैं साकार बाबा

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। साकार बाबा का सत्संग अलीगढ़ में भी चार से पांच बार हो चुके हैं। तालानगरी स्थित खाली प्लाट में बाबा सत्संग में इतनी भीड़ हो जाती है कि पैर रखने को जगह नहीं होती है।

कई दिन पहले उनके भक्त यहां पर आकर मैदान की सफाई शुरू कर देते हैं। बाबा की सेवा बताकर दिन रात महिला और पुरुष भक्त आयोजन में जुट जाते हैं। प्रवचन स्थल तक बाबा के लिए अलग से एक रास्ता भी बनाया जाता था। इस मार्ग पर बाबा का काफिला ही निकलता था।

इसके अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। उनका कार्यक्रम जब समाप्त हो जाता तब रामघाट रोड ताला नगरी से लेकर क्वार्सी चौराहे तक जाम लग जाता था।

बाबा प्रवचन के दौरान किसी आसपास के गेस्ट हाउस में रुकते थे। अलीगढ़ ही नहीं एटा, कासगंज, हाथरस, आगरा, बुलंदशहर और अन्य जिलों के श्रद्धालु यहां पर आते हैं। रामघाट रोड पर बाबा का काफिला जब गुजरता था तब उनके सेवादार क्वार्सी चौराहे से लेकर ताला नगरी तक दोनों ओर सेवादार लग रहते थे। वे ही ट्रैफिक व्यवस्था नियंत्रित करते हैं।

मीडियाकर्मियों को बाबा के कार्यक्रम में अनुमति नहीं मिलती है। पानी पिलाने से लेकर पंडाल की व्यवस्थाएं उनके सेवादारों के हाथ में होती थी। भक्तों की आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जाता था कि बरसात के दिन में कार्यक्रम स्थल में पानी भर जाता था तो भक्त वहीं दलदल के आसपास रात गुजारते थे।

बाबा का काफिला किसी VVIP से कम नहीं

साकार बाबा जब सड़क पर निकलते थे तो उनका काफिला किसी वीवीआइपी से कम नहीं था। उनकी कार के आगे युवा निजी सुरक्षा कर्मी जो किसी कमांडों से कम नहीं होते हैं। सिर पर बंधा काला कपड़ा और ड्रेस भी काली होती है।

लग्जरी गाड़ियों के अलावा कई गाड़ियां उनके काफिले में शामिल होते हैं उनकी कार के आगे सिर पर काले कपड़े बांधे युवाओं की टोली किसी कमांडों से कम नहीं लगती थी। निजी सुरक्षा में ही बाबा को सत्संग स्थल तक लाया जाता था। सरकारी कर्मचारियों में पुलिस कर्मियों की संख्या उनके भक्तों में अधिक है।

हेलिकाप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा करने की नहीं मिली अनुमति

ताला नगरी में एक वर्ष पहले साकार बाबा का सत्संग आयोजित किया गया था। इस सत्संग में कार्यक्रम स्थल पर हेलिकाप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा होनी थी। हेलीकाप्टर के साथ सबकुछ तैयारियां पूरी हो चुकी थी। आयोजकों ने आरोप लगाया था कि उन्हें प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं मिली थी।

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