अंग्रेजी शासनकाल की ट्रेन Toofan Mail से प्रयागराज के यात्री भी नहीं कर सकेंगे सफर, 92 वर्ष बाद ट्रेन बंद

तूफान एक्‍सप्रेस ट्रेन को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1930 में शुरू किया गया था। या ट्रेन अपने छोटे-छोटे स्टापेज के लिए विशेष तौर पर पहचानी जाती थी। एक्सप्रेस होने के बावजूद भी छोटे-छोटे स्टेशन पर रुकने के कारण लोकप्रिय थी। ट्रेन संचालन बंद होने से प्रयागराज के यात्री मायूस हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Tue, 15 Nov 2022 01:08 PM (IST) Updated:Tue, 15 Nov 2022 01:08 PM (IST)
अंग्रेजी शासनकाल की ट्रेन Toofan Mail से प्रयागराज के यात्री भी नहीं कर सकेंगे सफर, 92 वर्ष बाद ट्रेन बंद
तूफान मेल अब दिल्‍ली-होवड़ा रेलमार्ग पर चलती नहीं दिखेगी। ट्रेन बंद होने से प्रयागराज के यात्री भी मायूस हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अपनी गति और विशेष नाम के कारण ख्याति प्राप्त ट्रेन तूफान एक्सप्रेस अब दिल्ली-हावड़ा ट्रैक पर दौड़ती नजर नहीं आएगी। प्रयागराज के यात्री भी इस ट्रेन से सफर नहीं कर सकेंगे। हालांकि इस ट्रेन का संचालन तो करोना काल में ही ठप हो गया था और उसके बाद से ही यह ट्रेन ट्रैक पर नहीं चली थी। अब रेलवे की नई समय सारणी में इस ट्रेन को जगह नहीं मिली है। इसके कारण इस ट्रेन का संचालन अब पूरी तरह से बंद हो गया है।

ब्रिटिश हुकूमत में 1930 में तूफान एक्‍सप्रेस का शुरू हुअ था संचालन : तूफान एक्‍सप्रेस ट्रेन को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1930 में शुरू किया गया था। या ट्रेन अपने छोटे-छोटे स्टापेज के लिए विशेष तौर पर पहचानी जाती थी। एक्सप्रेस होने के बावजूद भी छोटे-छोटे स्टेशन पर रुकने के कारण यह बहुत लोकप्रिय थी। हालांकि दिल्ली से हावड़ा पहुंचने में एक लंबा समय लेती थी जिसके कारण लंबी दूरी के यात्री इसमें कम सफर करते थे। इसके अलावा तेज गति से जाने वाली ट्रेनों को यह काफी प्रभावित करती थी। जगह-जगह पास देने के कारण ट्रेनें लेट लतीफ भी होती थी।

लेटलतीफ थी फिर भी यात्रियों की पसंदीदा थी ट्रेन : तूफान एक्सप्रेस राइट टाइम नहीं रहने वाली ट्रेनों में गिनी जाती थी। हालांकि 92 वर्ष तक यात्रियों को ढोने वाली तूफान एक्सप्रेस का सफर अब जाकर थम गया है। अब यात्रियों को या ट्रेन नजर नहीं आएगी। कोरोना काल में जितनी ट्रेनों का संचालन रोका गया था, उनमें से सारी ट्रेनें फिर से चलने लगी हैं। हालांकि तूफान एक्सप्रेस को रिस्टोर नहीं किया गया।

आठ राज्यों से होकर गुजरती थी तूफान : तूफान एक्सप्रेस के प्रसिद्ध होने का सबसे बड़ा कारण उसका कई राज्यों से गुजारना था जो उसे लंबी दूरी की सबसे बड़ी ट्रेनों में से एक बनाती थी। यह ट्रेन उत्तर प्रदेश के अलावा

एक बंगाल, झारखंड, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब राजस्थान को जोड़ती थी। यही कारण था कि इस ट्रेन को कई राज्यों के लोग पसंद करते थे। कोरोना ने जब देश में हाहाकार मचाया और ट्रेनों की रफ्तार भी रुक गई पूर्णविराम ट्रेनों का संचालन बंद हो गया तो उसका असर तूफान एक्सप्रेस पर भी हुआ। इसे पूरे लाकडाउन के दौरान निरस्त कर दिया गया था। हालात सामान्य होने के बाद धीरे-धीरे ट्रेनें पुना रिस्टोर की जाने लगी लेकिन तूफान एक्सप्रेस को फिर से रिस्टोर नहीं किया गया और अब उसे समय सारणी में भी जगह नहीं दी गई है इस तरह तूफान एक्सप्रेस का सफर अब खत्म कर दिया गया है।

तूफान एक्सप्रेस से जुड़ी विशेष बातें

-1 जून 1930 को पहली बार यह ट्रेन ट्रैक पर दौड़ी थी।

-देश की आजादी से पहले शुरू होने वाली यह प्रमुख ट्रेन थी।

देश की आजादी के 75 वर्ष बाद तक संचालन होता रहा

-42. 25 घंटे में यह हावड़ा से श्रीगंगानगर राजस्थान पहुंच जाती थी।

-हावड़ा से श्रीगंगानगर के बीच में या कुल 110 रेलवे स्टेशनों पर रुका करती थी।

-प्रयागराज से सुबह 5.10 बजे श्रीगंगानगर की ओर जाते हुए व रात में 10:10 हावड़ा की ओर जाते हुए उसका स्टापेज होता था।

-तूफान एक्सप्रेस 110 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ती थी।

-तूफान एक्सप्रेस की न्यूनतम गति 44 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

-हावड़ा से यह 1978 किमी की दूरी 45.25 घंटे में तय करती थी।

-श्रीगंगानगर से यह 107 स्टेशनों पर रुकते हुए 1978 किमी की दूरी 46.20 घंटे में पूरी करती थी।

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