UP Politics: जानिए कौन हैं बीएल वर्मा जो यूपी की ये हॉट सीट गंवाने के बाद भी मोदी सरकार में लगातार दूसरी बार मंत्री बने
Badaun News मोदी सरकार में बीएल वर्मा का बढ़ा कद दोबारा बने मंत्री। माना जा रहा है कि लोधे वोटरों में पकड़ बनाए रखने के लिए इन्हें दोबारा मौका दिया गया है। पिछले ढ़ाई साल से वह सहकारिता विभाग के राज्यमंत्री थे जिसके कैबिनेट मंत्री अमित शाह रहे। उनके साथ काम करके मोदी और शाह के विश्वसनीय नेताओं में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे जिसका उन्हें फायदा मिला है।
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HighLights
- अमित शाह के साथ ढ़ाई साल काम करके विश्वनीय नेताओं में बनाई जगह
- लोधे वोटरों में पकड़ बनाए रखने के लिए भाजपा ने दूसरी बार दिया मौका
जागरण संवाददाता, बदायूं। लोकसभा चुनाव में जिले की सीट गंवाने के बाद सांसद की कमी को पूरा करने के लिए राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा काे मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में लगातार दूसरी बार भी शामिल कर लिया गया। इससे इनका कद और बढ़ गया है।
कछला के निकट ज्योरा पारवाला गांव के मूल निवासी बीएल वर्मा ने भाजपा में राजनीति की शुरूआत एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में की थी। भारतीय जीवन बीमा निगम के अभिकर्ता के तौर पर भी काम करते रहे। पार्टी के प्रति निष्ठावान रहने के कारण उन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष ब्रज प्रांत की जिम्मेदारी मिली थी। इसके बाद इन्हें सिडको का चेयरमैन बनाया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से इनकी निकटता बनी रही।
कल्याण सिंह के साथ गए थे बीएल वर्मा
जब कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी तब यह उनके साथ चले गए थे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई थी। भाजपा में वापसी भी उन्हीं के साथ हुई और प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। ढ़ाई साल पहले इन्हें राज्यसभा सदस्य बनाकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था। वह सहकारिता एवं पूर्वोत्तर राज्य विकास विभाग के केंद्रीय राज्यमंत्री का पद संभाल रहे थे। चूंकि सहकारिता विभाग के कैबिनेट मंत्री अमित शाह थे, इसलिए उनके करीब रहकर काम करने का मौका मिला। उनके साथ रहने से नरेन्द्र मोदी के निकट रहने का भी अवसर मिला। केंद्रीय राज्यमंत्री बनने के बाद जिले की राजनीति भी इन्हें के ईर्द-गिर्द घूमने लगी।
भाजपा हारी थी बदायूं सीट
लोकसभा चुनाव में बदायूं सीट से डा.संघमित्रा मौर्य का टिकट कटा तो इनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर चली थीं, लेकिन बाद में क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को मैदान में उतारा गया। हालांकि यहां की सीट भाजपा बचा नहीं सकी, लेकिन बीएल वर्मा के मंत्रिमंडल में शामिल हो जाने से सांसद की कमी महसूस नहीं होने पाएगी।
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विधानसभा चुनाव में भी बीएल वर्मा होंगे मददगार
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षित नहीं रहा है। इसलिए भाजपा ने 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के नजरिये से भी समीकरण साधना शुरू कर दिया है। बीएल वर्मा का लोधे वोटरों में अच्छी पकड़ है। इसलिए बदायूं ही नहीं समूचे रुहेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी इनका लाभ मिल सकता है।