UP News : नदी किनारे रखे थे सैंकड़ों अंडे, अब टूटकर निकल रहा ये घातक प्राणी; बुलाई गई अफसरों की टीम

UP News in Hindi बता दें कि जो बच्चे लाए गए हैं उन्हें तीन साल बाद नदी में छोड़ दिया जाएगा जहां वह अपने प्राकृतिक वास में जीवन यापन करेंगे। घड़ियाल के बच्चे जून के महीने में अंडे से बाहर निकलते हैं और घड़ियाल की मादा जितनी उम्र दराज होगी वह उतने अधिक अंडे देगी। इनके अंडों को सुरक्षित रखा जा रहा है।

By Prabhanjan kumar Shukla Edited By: Mohammed Ammar Publish:Fri, 28 Jun 2024 07:24 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2024 07:24 PM (IST)
UP News : नदी किनारे रखे थे सैंकड़ों अंडे, अब टूटकर निकल रहा ये घातक प्राणी; बुलाई गई अफसरों की टीम
200 नन्हें घड़ियालों को कतर्निया के हेचरी में रखा गया

HighLights

  • 19 घोंसले गेरुआ नदी के टापू पर किए गए थे संरक्षित
  • 500 से अधिक घड़ियाल के बच्चे निकलने की संभावना
  • 3 साल बाद परिपक्व होने पर प्राकृतिक वास में छोड़े जाएंगे

प्रभंजन शुक्ल, बहराइच। नदी के प्राकृतिक तंत्र को मजबूत करने वाले घड़ियाल के घोसलों से इन दिनों बच्चे निकल रहे हैं। कतर्नियाघाट जंगल के बीच में बहने वाली गेरुआ नदी के पठार पर अंडे से नन्हे घड़ियालों ने मुंह निकालना शुरू कर दिया है। इसमें दो सौ बच्चों को कतर्निया के हेचरी में संरक्षित किया गया है।

जितनी उम्रदराज होती है मादा, उतने अधिक देती है अंडे

इस बार घड़ियाल के 19 घोसले नदी के टापू पर मिले थे। इनमें से सैकड़ों बच्चे निकलेंगे। घड़ियाल के बच्चे जून के महीने में अंडे से बाहर निकलते हैं और घड़ियाल की मादा जितनी उम्र दराज होगी, वह उतने अधिक अंडे देगी। ऐसे में गेरूआ के पठार पर जो घोसले हैं, उनमें 30 से लेकर 75 बच्चे तक निकले हैं।

5 से 10 प्रतिशत ही रह पाते हैं जिंदा

घड़ियाल के बच्चों का अजीवता (सर्वाइवल) बहुत कठिन है, क्योंकि यह नदी और खुले आसमान दोनों जगह असुरक्षित होते हैं। नदी में इन्हें मछलियां खा जाती है और खुले में बाज, चील और गिद्ध इन्हें अपना निवाला बना लेते हैं और जो कुछ बच भी जाते उसमें अधिकतर बाढ़ में बह जाते हैं। इसलिए यह 5 से 10 प्रतिशत ही दीर्घजीवन को प्राप्त करते हैं। इसी के मद्देनजर कतर्नियाघाट में एक घड़ियाल हेचरी भी बनाई गई है, जिसमें इनको पाल कर बचाया जाता है।

घड़ियाल की संख्या बढ़ाने के लिए पांच घोसलों से 200 बच्चे निकाल कर हेचरी में रखे गए हैं, जिसमें 95 से 98 प्रतिशत बच्चों के बचने की पूरी संभावना है। जो बच्चे लाए गए हैं, उन्हें तीन साल बाद नदी में छोड़ दिया जाएगा, जहां वह अपने प्राकृतिक वास में जीवन यापन करेंगे।

- बी शिवशंकर, प्रभागीय वनाधिकारी, कतर्नियाघाट

अप्राकृतिक माहौल में पालना मजबूरी

नेचर इनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक का मानना है कि घड़ियाल के बच्चों को इस तरह हेचरी में तीन साल रख कर पालना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है, क्योंकि जब यह नदी में जीवन जीने का संघर्ष करते है तो यह अपने बचाव से लेकर शिकार तक सभी कुछ सीख जाते हैं।

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