नाटी मंसूरी की तरह पैदा होगा नरेंद्र 359

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Updated: Tue, 12 Jun 2012 09:27 PM (IST)
नाटी मंसूरी की तरह पैदा होगा नरेंद्र 359

चंदौली: भरपूर उत्पादन देने वाले नाटी मंसूरी धान के विकल्प के रूप में अनेक नामचीन धान के बीज होंगे। कृषि विभाग देशी, शंकर और हाइब्रिड प्रजाति के बीज किसानों के लिए उपलब्ध करा रहा है। बीजों के साथ-साथ विभाग इस बार डीएपी की किल्लत से निबटने के लिए पहले ही टाइट है।

नाटी मंसूरी धान का बीज अब तक की सबसे पुरानी प्रजाति है और सबसे ज्यादा उत्पादन देती है। इसमें दोष यही है कि यह ज्यादा दिनों में होती है। इसकी कटाई होते-होते दिसंबर माह शुरू हो जाता है, जिससे गेहूं की फसल मारी जाती है। विभाग ने इस बार इसी फसल की तर्ज पर स्वर्ण श्रवण, नरेंद्र 359, बीपीटी 5204, सांभा मंसूरी, एमपी 7029, हाइब्रिड बीज किसानों को दिए हैं। इनका उत्पादन नाटी मंसूरी बीज के ही बराबर है। यह फसल 135 से 40 दिनों में पककर कटने लगती है। शौकिया किसानों के लिए विभाग पूसा बासमती भी बीज सहकारी समितियों से बेचेगा। जिला कृषि अधिकारी आरएन सिंह ने बताया कि खरीफ की प्रमुख फसल धान के बीज व डीएपी की कमी नहीं है। बताया कि जिले में एक लाख 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई होती है। इसके लिए सात हजार 465 हैक्टेयर क्षेत्रफल में नर्सरी डाली जाती है। विभाग का इस साल का उत्पादन लक्ष्य 310.80 मीट्रिक टन है। उत्पादकता 27.81 कुंतल प्रति हेक्टेयर निर्धारित की है। बताया कि जिले में आठ हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, उनके गोदामों में पहले से ही 65 सौ एमटी डीएपी है। 15 सौ एमटी की डिमांड की गई है। बताया कि विभाग का 900 कुंतल के सापेक्ष 15 सौ कुंतल धान का बीज आ चुका है। इसके अलावा सहकारी समितियों पर भी धान का तीन हजार कुंतल आया है। बीज पर इस बार प्रति कुंतल 500 रुपये छूट है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया जो डीएपी की बोरी पर दाम देखने के बाद ही खरीदे और जरूर लें। ऐसा न करने वाले दुकानदारों की शिकायत विभाग में करें।

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