हाथरस सत्संग हादसे की आंखों देखी: बहू के सामने पैरों तले दब गईं सास, लाश को रौंदकर न‍िकल गए सैकड़ों लोग

हाथरस हादसे की कई ऐसी कहान‍ियां हैं जो झकझोर देने वाली हैं। ऐसी ही एक कहानी एटा की रहने वाली मह‍िला की है ज‍िसने अपनी आंखों अपनी सास को पैरों तले दबते देखा और वह कुछ नहीं कर पाई। मह‍िला की आंखों के सामने उसकी सास की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सैकड़ों लोग सरोजलता पर पैर रखकर निकल गए।

By pravesh dixit Edited By: Vinay Saxena Publish:Wed, 03 Jul 2024 01:23 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2024 01:23 PM (IST)
हाथरस सत्संग हादसे की आंखों देखी: बहू के सामने पैरों तले दब गईं सास, लाश को रौंदकर न‍िकल गए सैकड़ों लोग
हाथरस में बहू के सामने ही सास को भीड़ ने पैरों तले रौंदा।

HighLights

  • हादसा में बहू के सामने सास को भीड़ ने पैरों तले रौंदा
  • मह‍िला की मौके पर हुई मौत
  • मह‍िला पर पैर रखकर न‍िकल गए सैकड़ों लोग

जागरण संवाददाता, एटा। एटा के शहर कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला वनगांव की रहने वालीं वृद्ध महिला श्रद्धालु भी 'भोले बाबा' के सत्संग में मुगलगढ़ी गईं थीं। उनकी पुत्रवधू भी साथ थीं। बहू के सामने ही सास को भीड़ ने पैरों तले रौंद दिया। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मौत की खबर जब मोहल्ले में पहुंची तो जो अन्य लोग भी गए थे, उनके स्वजन उनसे संपर्क करने में जुटे रहे।

बनगांव निवासी 70 वर्षीय सरोजलता पत्नी रामदास सुबह के समय भोले बाबा के सत्संग में शामिल होने के लिए गईं थीं। उनके साथ पुत्रवधू अर्चना भी थी। सत्संग समाप्त होने के बाद वे उस भीड़ में फंस गईं, जो धक्के पर धक्के लगा रही थी। मौके पर मौजूद स्वजन उन्हें बचा नहीं पाए।

सरोजलता पर पैर रखकर निकल गए सैकड़ों लोग

प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सैकड़ों लोग सरोजलता पर पैर रखकर निकल गए। तीन लोग सरोजलता के ऊपर गिर गए। उनकी भी मौत हो गई। गिरने के बाद कोई भी संभल नहीं सका। भीड़ का जबरदस्त रेला था। सरोजलता के बारे में बताया गया है कि बाबा का सत्संग जहां भी होता था, वे वहां जाने की इच्छा जरूर रखती थीं। मंगलवार सुबह भी जिद करके सत्संग में शामिल होने के लिए गईं थीं।

बाबा को मानती थीं अपना आराध्‍य  

खाना भी अपने साथ रख लिया था और पानी की बोतल भी। यह भी बताया गया है कि उनके हाथ में एक थैला था, जो भीड़ में पता नहीं कहां गुम हो गया। पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद लोग बता रहे थे कि धार्मिक कार्यों में सरोजलता बढ़-चढ़कर भाग लेती थीं। बाबा को अपना आराध्य मानती थीं। शाम के समय वनगांव के तमाम लोग पोस्टमार्टम गृह पर पहुंचे। हादसे पर सभी दुख जता रहे थे। पोस्टमार्टम के बाद रात के समय शव घर ले जाया गया तो भीड़ जुट गई।

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