स्पेशल है नाम, सुबह की बजाए शाम

By Edited By: Publish:Sat, 02 Aug 2014 01:59 AM (IST) Updated:Sat, 02 Aug 2014 01:59 AM (IST)
स्पेशल है नाम, सुबह की बजाए शाम

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : अब तो स्पेशल गाड़ियां सिर्फ नाम की रह गई हैं। सुबह वाली ट्रेन शाम को और रात वाली सुबह पहुंच रही हैं। एक तो गाड़ियों में सुविधाओं का अभाव, ऊपर से ट्रेन का इंतजार कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। आलम यह है कि ट्रेन के इंतजार में यात्रियों के दिन और रात प्लेटफार्मो पर कट रहे हैं।

शुक्रवार को शाम 5 बजे के आसपास एसी लाउंज में नेपाली मूल के केडी गिरी और एसआर गिरी बेहद परेशान थे। वे परिवार के साथ सुबह 6 बजे से ही गोरखपुर- एलटीटी 01048 स्पेशल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि कहां जाएं। सुबह 8 बजे प्रस्थान करने वाली यह स्पेशल ट्रेन 9 घंटे बाद भी शाम 5 बजे तक प्लेटफार्म पर नहीं लगी थी। यही नहीं रात करीब 10 बजे पहुंचने वाली 05717 कटिहार- फिरोजपुर स्पेशल ट्रेन 8 घंटे की देरी से सुबह 6 बजे गोरखपुर पहुंची। यात्रियों की रात स्टेशन पर ही कटी। रास्ते के लिए जो लाए थे, स्टेशन पर ही समाप्त हो गया।

यह तो सिर्फ दो स्पेशल गाड़ियों की स्थिति है। कमोबेश सभी स्पेशल की स्थिति एक जैसी ही है। लाख प्रयास के बाद उनकी टाइमिंग दुरुस्त नहीं हो पा रही। आलम यह है कि ट्रेनें 2 से 10 घंटे की देरी से चल रही हैं। सुविधाओं की तो बात ही छोड़िये, चलने के बाद स्पेशल गाड़ियां 'राम भरोसे' हो जा रही हैं। स्पेशल ट्रेनें अपने गंतव्य तक स्पेशल टाइम के बाद ही पहुंचती हैं। समुचित पानी और प्रकाश की समस्या तो आम बात है। रात में अचानक बिजली गुल हो जाती है। बिजली आती है तो पंखे जवाब दे जाते हैं। अधिकतर पुराने कोच ही होते हैं। जिन्हें जोड़कर स्पेशल बनाया जाता है। मानीटरिंग के अभाव में स्टेशनों पर उन्हें आउट साइड लाइन ही नसीब होती है। उसके संचलन की सही जानकारी न रेलवे के पास रहती है और न इंक्वायरी नंबर 139 ही बता पाता है। रास्ते में कब और कहां खड़ी हो जाएंगी, कोई नहीं जानता। नियमित सभी गाड़ियों को छोड़ने के बाद ही इन गाड़ियों को हरी झंडी दी जाती है। साफ-सफाई तो कहने के लिए है।

आरक्षित फुल और जनरल खाली

स्पेशल गाड़ियों की आरक्षित बोगियां तो ट्रेन की घोषणा के साथ ही फुल हो जा रही हैं। आलम यह है कि रुटीन ट्रेनों की तरह स्पेशल में भी वेटिंग टिकट ही हाथ आ रहा है। लेकिन, लेटलतीफी और सुविधाओं के अभाव में जनरल कोच के यात्री नहीं मिल रहे हैं।

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