नए टाउनशिप के विकास के लिए यूपी में लागू किया जाएगा गोरखपुर माडल, शासन में मांगा गया GDA का प्लान
जीडीए द्वारा विकसित की जा रही खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना का माडल शासन में मांगा गया है। प्राधिकरणों की बैठक में जीडीए के माडल को अपर मुख्य सचिव आवास ने सराहा और सभी जिलों को अपनाने का सुझाव दिया। माडल के आधार पर इस योजना को विकसित करने में जीडीए को अपने पास से पैसा खर्च नहीं करना पड़ रहा।
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गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शहरों की बढ़ती आबादी की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए नई टाउनशिप विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। शासन की ओर से मुख्यमंत्री शहर विस्तारीकरण योजना के तहत विकास प्राधिकरणों को बजट भी जारी किया जा रहा है। प्राधिकरणों की ओर से जो नए टाउनशिप विकसित किए जाएंगे, वहां विकास का गोरखपुर माडल लागू होगा। यह माडल गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) द्वारा तैयार किया गया है और इसी के आधार पर खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना लांच की गई है।
जीडीए योजना के लिए आरक्षित जमीन का सात प्रतिशत विकासकर्ता फर्म को देकर 245 करोड़ रुपये का ढांचागत विकास कार्य करा रहा है। इस योजना को विकसित करने में जीडीए को अपने पास से पैसा खर्च नहीं करना पड़ रहा। इसी माडल से करीब 200 एकड़ में राप्तीनगर विस्तार टाउनशिप एवं स्पोर्ट्स सिटी योजना व कन्वेंशन सेंटर योजना भी लांच करने की तैयारी है।
खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना को लांच करते हुए मुख्यमंत्री ने इस माडल की प्रशंसा की थी। 23 अगस्त को लखनऊ में आवास विभाग की मासिक बैठक में सभी विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों की मौजूदगी में इस माडल के बारे में अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने जानकारी ली। उन्होंने इसे सराहा और जीडीए उपाध्यक्ष को इस माडल को शासन के पास भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सभी विकास प्राधिकरणों को यह माडल भेजा जाएगा।
गोरखपुर माडल से हैं ये फायदे
जब भी विकास प्राधिकरण को कोई योजना लांच करनी होती है तो उसे ढांचागत विकास करना होता है। आमतौर पर अधिकतर प्राधिकरणों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं होती। एक साल में 20 से 25 करोड़ रुपये ही जारी किए जा सकते हैं। इस तरह एक योजना में ढांचागत विकास धीरे-धीरे हो पाता है और जब तक योजना तैयार होती है, दूसरी ओर से सड़क, नाली टूटने की शिकायत आने लगती है। जीडीए की राप्तीनगर विस्तार योजना में यह समस्या देखी गई। सामान्य तरीके से एक योजना पूरी तरह से विकसित होने में 10 साल लगते हैं। जीडीए द्वारा अपनाए विकसित किए गए माडल में एक साथ ढांचागत विकास पूरा हो जाएगा। खोराबार में पूरा विकास कार्य ढाई साल में पूरा करने को कहा गया है। अधिकतम छह महीने का समय पांच प्रतिशत पेनाल्टी के साथ बढ़ाया जाएगा। इस तरह अधिकतम तीन साल में ढांचागत विकास हो जाएगा। इस माडल के तहत प्राधिकरण ने शुरूआत में ही 13 एकड़ जमीन सबसे महंगी दर पर बेच ली। योजना से जीडीए को होने वाली कमाई अतिरिक्त है।
रिवर्स लैंड पूलिंग के रूप में देखा जा रहा यह माडल
जीडीए का यह माडल रिवर्स लैंड पूलिंग माडल के रूप में देखा जा रहा है। लैंड पूलिंग के तहत कोई अपनी 25 एकड़ जमीन प्राधिकरण को देगा तो उसे 25 प्रतिशत विकसित भूमि मिलेगी। 45 प्रतिशत भूमि विकास कार्य में चली जाएगी। जीडीए को 30 प्रतिशत जमीन मिलेगी, इसे ही बेचकर खर्च निकालना होगा। जबकि रिवर्स लैंड पूलिंग यानी जीडीए के माडल में केवल सात प्रतिशत जमीन देकर लगभग 47 प्रतिशत विकसित जमीन मिल रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
उपाध्यक्ष जीडीए महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना में भूमि मुद्रीकरण के माडल से विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इसमें जीडीए की ओर से पैसा खर्च नहीं किया गया है। बल्कि विकास करने वाली फर्म को प्रीमियम मूल्य पर जमीन दी गई है। यही माडल आगे की योजनाओं में भी लागू होगा। दो दिन पहले हुई बैठक में इस माडल की सभी ने प्रशंसा की है और इसका विवरण मंगाया गया है।