गोरखपुर में फैला है सूदखोरों का जाल, गिरवी रखकर देते हैं रकम फिर वसूली के नाम पर भेजते हैं मौत का पैगाम

गोरखपुर जिले में पहले भी सूदखोरों के दबाव में लोग जान दे चुके हैं। दो दिन पहले भी मां-बेटे ने सुदखोरों के दबाव में ही खुदकुशी की है। यहां सूद पर रुपये देने वालों ने अपना कार्यालय खोल रखा है। समय पर रुपये न चुकाने पर सूदखोर जुर्माना वसूलते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Fri, 18 Nov 2022 09:55 AM (IST) Updated:Fri, 18 Nov 2022 09:55 AM (IST)
गोरखपुर में फैला है सूदखोरों का जाल, गिरवी रखकर देते हैं रकम फिर वसूली के नाम पर भेजते हैं मौत का पैगाम
गोरखपुर में पहले भी सूदखोरों के दबाव में लोग दे चुके हैं जान। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। ब्याज की रकम न चुका पाने के चलते जान देने वाली सरोज देवी और मनीष की कहानी नई नहीं है। इससे पहले भी कई लोग कर्ज के बोझ तले दबकर जान दे चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की है। जो छोटे-मोटे धंधे करके अपनी जीविका चलाते हैं। अधिकतर ऐसे मामलों में तो लोग शिकायत भी नहीं करते हैं।

सूद पर रुपये देने वालों ने खोल रखा है कार्यालय

ब्याज पर पैसा देने वाले सूदखोरों ने जगह-जगह अपना कार्यालय खोला है। इनमें अधिकांश दंबग किस्म के लोग होते हैं।इनमें से किसी के पास भी ब्याज पर रुपये देने का लाइसेंस नहीं है। यदि कोई व्यक्ति समय पर रुपये नहीं लौटा पाता है तो उसे ब्याज की रकम के साथ जुर्माना देना पड़ता है जो 10 रुपये शुरू होता है। ऐसे में रुपये लेने वाला व्यक्ति फंस जाता है। यदि वह रुपये नहीं चुका पता है तो सूदखोर उसके साथ मारपीट करते हैं।

गिरवी रखकर देते हैं मोटी रकम

ब्याज पर मोटी रकम लेने के लिए व्यक्ति को 10 से 15 प्रतिशत का ब्याज तो देना ही पड़ता है। वह रकम लेकर भाग न जाए या इसके लिए उससे पहले ही मकान, दुकान व गहने गिरवी रखवा ली जाती है। जिसकी कीमत उधार ली गई रकम से कहीं ज्यादा होती है। उस पर यदि व्यक्ति रकम नहीं चुका पता है तो इतना ब्याज लाद दिया जाता है कि बेचारे व्यक्ति को अपना मकान, दुकान व गहने सूदखोर के पास छोड़ना पड़ता है या फिर उसे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।

वसूली के लिए पाले जाते हैं गुंडे

उधार दी गई रकम को वसूलने के लिए सूदखोर किसी भी हद तक जाते हैं। इसके लिए बाकायदा वे वसूली के लिए एक टीम बनाते हैं जिनका काम सुबह से शाम तक रकम का तकादा करना और ब्याज वसूलना होता है। रुपये न लौटाने वाले को यह लोग प्रताड़ित भी करते हैं।

सरकारी विभागों में भी जाल

सूदखोरों का जाल सिर्फ शहर में नहीं, कई विभागों में भी फैला है। सबसे बुरी कहानी तो रेलवे की है, जहां के कितने ही कर्मचारी सूदखोरों के जाल में फंसे हैं। पुलिस के पास कई शिकायतें भी आ चुकी हैं।

छह माह पहले सैलून संचालक ने दी थी जान

18 अप्रैल 2022 को चिलुआताल के भंडारो में सैलून चलाने वाले राजेश ने सूदखोरों से तंग आकर जहरीला पदार्थ खा लिया।गंभीर स्थिति में स्वजन ने मेडिकल कालेज में भर्ती कराया जहां उपचार के दौरान मौत हो गई।राजेश की पत्नी ने चिलुआताल थाने में सूदखोरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।

chat bot
आपका साथी