North Eastern Railway: सिर्फ छोटी सी लापरवाही और रुक गई सैकड़ों रेलकर्मचारियों की पदोन्नति
बोर्ड ने रेलकर्मियों की पदोन्नति और वेतनवृद्धि के लिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) और वार्षिक वर्किंग रिपोर्ट में वेरीगुड अनिवार्य कर दिया है। रिपोर्ट में वेरीगुड होने पर ही कर्मियों को पदोन्नति संशोधित कैरियर प्रोन्नयन और वेतन वृद्धि का लाभ मिलता है।
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गोरखपुर, जेएनएन। इसे जानकारी का अभाव कहें या संबंधित अधिकारियों की उदासीनता। रेलवे बोर्ड का नया नियम रेलकर्मियों की पदोन्नति व वेतनवृद्धि की राह में रोड़ा बन गया है। वाराणसी मंडल के लगभग 50 स्टेशन मास्टरों का कार्य व्यवहार गुड होने के बाद भी इनका संशोधित करियर प्रोन्नयन (एमएसीपी) रुक गया है। करीब 100 स्टेशन मास्टरों का कार्य व्यवहार ही प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह तो सिर्फ वाराणसी मंडल के परिचालन विभाग का मामला है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर सहित लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल के सैकड़ों रेलकर्मियों की पदोन्नति, एमएसीपी और वेतन वृद्धि गुड और वेरीगुड में फंसी हुई है।
कार्य व्यवहार गुड होने पर भी 50 स्टेशन मास्टरों को नहीं मिला लाभ
दरअसल, बोर्ड ने रेलकर्मियों की पदोन्नति और वेतनवृद्धि के लिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) और वार्षिक वर्किंग रिपोर्ट में वेरीगुड अनिवार्य कर दिया है। रिपोर्ट में वेरीगुड होने पर ही कर्मियों को पदोन्नति, संशोधित कैरियर प्रोन्नयन और वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। जबकि, 25 जुलाई 2016 से पूर्व में रेलकर्मियों का कार्य व्यवहार गुड होने पर भी यह लाभ मिल जाता था। जानकारों का कहना है कि एसीआर या वर्किंग रिपोर्ट लिखने वाले अधिकारी नियम बदलने के बाद भी बेहतर करने वाले कर्मचारियों का कार्य व्यवहार भी गुड लिख दे रहे हैं। वह ध्यान नहीं देते हैं कि उनके गुड लिखने का प्रभाव कर्मी के भविष्य पर पड़ेगा। रेलकर्मी भी समझ नहीं पाते और गुड मार्क पाकर ही खुश हो जा रहे हैं।
रेलकर्मियों की वार्षिक गोपनीय और वर्किंग रिपोर्ट में कम से कम वेरीगुड अनिवार्य
यहां जान लें कि रेलकर्मियों के रिपोर्ट में कार्य व्यवहार में गुड, वेरीगुड और एक्सीलेंट का विकल्प निर्धारित है। रेलवे बोर्ड अब वेरीगुड और एक्सीलेंट को ही बेहतर मान रहा है। फिलहाल, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट और वर्किंग रिपोर्ट को लेकर अधिकारियों की उदासीनता पर रेलकर्मियों में रोष है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त ने रेलकर्मियों को अयोग्य घोषित किए जाने पर रेलवे प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि 24 घंटे ट्रेन का निर्बाध संचालन करने वाले स्टेशन मास्टरों का कार्य व्यवहार कैसे अयोग्य हो सकता है। उन्होंने रेलवे प्रशासन से व्यवस्था में यथाशीघ्र सुधार करते हुए कर्मचारियों को पदोन्नति व वेतनवृद्धि का लाभ देने की मांग की है।