बस नाम की एसी बोगी, गंदे कंबल और बेडरोल बिगाड़ रहे रेलवे की छवि
गोरखपुर से बनकर चलने वाली ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल (कंबल चादर तौलिया और तकिया का कवर आदि) साफ-सुथरा नहीं मिल रहे। इससे यात्री परेशान हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। बेडरोल के दाग, धब्बे और बदबू ने यात्रियों की नींद खराब कर दी है। लंबी दूरी की प्रमुख ट्रेनों के यात्रियों को भी गंदे बेडरोल मिल रहे हैं। गोरखपुर से बनकर चलने वाली ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल (कंबल, चादर, तौलिया और तकिया का कवर आदि) भी साफ-सुथरा नहीं मिल रहे। जबकि गोरखपुर के अलावा लखनऊ, काठगोदाम, छपरा और मंडुआडीह में मैकेनाइज्ड लाडंड्री स्थापित हैं।
गोरखपुर-एलटीटी 12541 प्लेटफार्म नंबर नौ से रवाना होती है। ठीक बगल में मैकेनाइज्ड लाउंड्री है, जिससे धुल कर निकलने वाले बेडरोल कीटाणुमुक्त होते हैं। मशीनों में धुलाई के बाद बेडरोल से अलग तरह की खुशबू आती है। इसके बाद भी यात्रियों को साफ बेडरोल नहीं मिल रहे। अब तो यात्री बेडरोल लेने से मना कर दे रहे। वे अपनी चादर आदि का प्रयोग कर रहे हैं। यात्रियों का आरोप है कि कंबल ही नहीं चादर और तकिया के कवर से भी बदबू आती है। रेलवे इसपर ध्यान ही नहीं दे रहा। जबकि इस तरह की समस्या से सैकड़ों यात्री रोजाना प्रभावित हो रहे है।
प्रकरण एक
25 मार्च को 12541 गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस के एसी टू के ए वन कोच में अधिकतर यात्रियों ने बेडरोल का उपयोग ही नहीं किया। बर्थ नंबर 16 के यात्री मनमोहन, 15 के यात्री गोरखलाल के अलावा अंशिका, अशोक चंद्र और सतीश आदि यात्रियों को मिले बोडरोल गंदे थे। बदबू भी आ रही थी। यात्रियों ने कोच अटेंडेंट राशिद से शिकायत की, लेकिन उसका कहना था कि जो मिला है उसे वह उपलब्ध करा रहा है। कोच कंडक्टर ने भी नोटिस नहीं लिया।
प्रकरण दो
25 मार्च को ही 15001 देहरादून एक्सप्रेस के ए वन कोच में मिले बेडरोल गंदे थे। चादरों में दाग और धब्बे थे। कंबल से बदबू आ रही थी। लग रहा था कि तकिया के कवर उपयोग किए हुए हैं। चादर धुला ही नहीं है या बहुत पुरानी पैकिंग है। बर्थ नंबर 19 और 18 आदि के यात्रियों ने कई बार चादर बदलवाई लेकिन सब एक जैसे ही थे। 22 मार्च को गोरखपुर से जाने वाली 15005 दून एक्सप्रेस के ए वन कोच के बर्थ नंबर 15 के यात्री ने कोच अटेंडेंट से शिकायत की लेकिन कोई बात नहीं बनी। यात्री को रात भर नींद नहीं आई।
जागरूकता के अभाव में नहीं कर पाते शिकायत
यात्री कोच अटेंडेंट और कंडक्टर आदि से शिकायत कर चुप हो जाते हैं। अटेंडेंट और कंडक्टर भी उन्हें शिकायत पुस्तिका उपलब्ध नहीं कराते। जागरूकता के अभाव में समस्याएं उ'च अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती। शिकायत नहीं मिलने पर रेलवे प्रशासन भी मान लेता है कि सबकुछ ठीक चल रहा है। निरीक्षण अभियान फाइलों में चलता रहता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर पूरा किराया देने के बाद भी यात्री कब तक ठगे जाते रहेंगे।
एसी प्रथम के कंबलों में लगाए जा रहे कवर
पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों में एसी फस्र्ट में साफ बेडरोल मिल रहे हैं। कंबलों पर कवर भी लगने लगे हैं। लेकिन एसी टू और थ्री में यह सुविधा नहीं मिल रही। यात्रियों का कहना है कि कवर भले न लगे लेकिन कंबल और चादर आदि साफ तो मिले। पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव ने कहा कि साफ-सुथरे बेडरोल के लिए मैकेनाइज्ड लाउंड्री स्थापित की गई हैं। इसके बाद भी शिकायत आ रही है तो उसे तत्काल दुरुस्त कराया जाएगा।