कन्नौज के इत्र कारोबारियों का गढ़ है हसायन

चैती गुलाब की गुणवत्ता यहां सबसे बेहतर इसी से बनता है रूह व इत्र छह लाख प्रति किलो तक है हसायन में बनने वाले गुलाब की रूह के दाम।

By JagranEdited By:
Updated: Sat, 01 Jan 2022 01:15 AM (IST)
कन्नौज के इत्र कारोबारियों का गढ़ है हसायन
कन्नौज के इत्र कारोबारियों का गढ़ है हसायन

हाथरस : हसायन क्षेत्र का गुलाब दूर-दूर तक जाना जाता है। यहां का गुलाब पूरे प्रदेश में सबसे बेहतर होता है। यही वजह है कि यहां गुलाब के इत्र का सबसे बड़ा कारोबार है। इत्र के लिए मशहूर कन्नौज के कारोबारी गुलाब का इत्र यहीं बनवाते हैं। हसायन क्षेत्र कन्नौज के इत्र कारोबारियों का लंबे समय से गढ़ बना हुआ है।

हसायन क्षेत्र में 18 हजार हेक्टेयर में गुलाब की खेती होती है। यहां पर करीब 15 हजार लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इत्र कारोबार से जुड़े हैं। इत्र कारोबार उनकी आय का साधन है। सालाना 250-300 करोड़ का कारोबार होता है। साल में दो बार गुलाब की फसल होती है। पहला सीजन मार्च महीने से मई की शुरुआत तक रहता है। दूसरा सीजन जुलाई माह के पहले सप्ताह से शुरू होता है। बारिश का मौसम होने के कारण यह सीजन अक्टूबर के अंत तक चलता है। इस बीच करोड़ों का इत्र कारोबार होता है। यहां के देसी गुलाब की क्वालिटी सबसे अच्छी है। इसीलिए यहां का गुलाब सबसे महंगा रहता है। यहां गुलाब के आमतौर पर रेट 100 से 140 रुपये प्रतिकिलो तक रहते हैं जबकि कन्नौज में गुलाब के रेट 25 से 30 रुपये किलो तक रहता है। हसायन की फैक्ट्रियों में तैयार रूह की कीमत छह लाख रुपये किलो तक है। 150 से अधिक फैक्टरियां

हसायन क्षेत्र में इत्र की छोटी बड़ी 150 के करीब फैक्ट्रियां हैं। इनमें 50 बड़ी फैक्ट्रियां शामिल हैं। इनमें 10 फैक्ट्रियां कन्नौज के इत्र कारोबारियों की हैं। कई कारेाबारी यहां की फैक्ट्रियों को लीज पर लेकर भी काम करते हैं। चर्चा है कि पम्पी जैन भी हाथरस और एटा में फैक्ट्रियों को लीज पर लेकर कारोबार कर रहे हैं। वहीं स्थानीय लोग भी गुलाब खरीदकर इत्र का उत्पादन करते हैं। जानकार बताते हैं कि यहां के कारोबारी कन्नौज के कारोबारियों के साथ मिलकर व्यापार करते हैं। रेट भी दोनों कारोबारी मिलकर तय करते हैं। तीन कमरों और अलमारियों के ताले तोड़ की छानबीन

जासं, हाथरस : सपा एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी की हसायन स्थित फैक्ट्री पर पहुंची आयकर टीम ने करीब साढ़े तेरह घंटे छानबीन की। सुबह सात बजे आयकर विभाग की टीम ने फैक्ट्री पर छापा मारा था। चौकीदार राजवीर सिंह बघेल के अनुसार टीम ने तीन कमरों के ताले तोड़े। इसके बाद कमरों में रखी तीन अलमारियों के भी लाक तोड़ छानबीन की। राजवीर के अनुसार टीम को यहां कुछ नहीं मिला है। अलमारियों में कई वर्ष पुराने बिजली और टेलीफोन के बिल थे, जिन्हें अधिकारी अपने साथ ले गए हैं।