Hathras Satsang Accident: 'जो गिरा फिर उठ नहीं सका', घायल पूजा ने सुनाई मौत के तांडव की कहानी; सीएम योगी आज पहुंचेंगे हाथरस

हाथरस सत्संग के बाद मची भगदड़ में 116 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई। घायल पूजा ने आंखों देखी बताया कि सत्संग खत्म होते ही भीड़ खेतों से गुजर रही थी। यहां एक खेत दूसरे से नीचे था। अचानक पीछे से भीड़ उमड़ी और लोग उसमें गिरने लगे। भीड़ का सैलाब ऐसा उमड़ा कि लोग गिरते चले गए और देखते ही देखते लोगों की मौत हो गई।

By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar Publish:Wed, 03 Jul 2024 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2024 06:00 AM (IST)
Hathras Satsang Accident: 'जो गिरा फिर उठ नहीं सका', घायल पूजा ने सुनाई मौत के तांडव की कहानी; सीएम योगी आज पहुंचेंगे हाथरस
घायल पूजा ने सुनाई मौत के तांडव की कहानी; सीएम योगी आज पहुंचेंगे हाथरस

HighLights

  • जान गंवाने वालों में सात बच्चे, एक पुरुष और 108 महिलाएं
  • मौके से भाग निकला स्वयंभू बाबा, देर रात मैनपुरी पहुंचा
  • गाजियाबाद से एनडीआरएफ की टीम भी हाथरस पहुंची
  • हादसे के बाद अपनों को तलाशतीं रहीं आंखें
  • राज्य व केंद्र ने दो-दो लाख रुपये देने का किया एलान

 जागरण टीम, अलीगढ़। ब्रज के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 116 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। हाथरस, एटा व कासगंज के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से भी श्रद्धालु आए थे। जान गंवाने वालों में सात बच्चे, एक पुरुष और 108 महिलाएं हैं।

गहरा दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने मरने वालों के स्वजन को दो-दो लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत कई नेताओं ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

घायल पूजा की जुबानी, मौत के तांडव की कहानी

हादसे से सहमी पूजा ठीक से बोल नहीं पा रही हैं। उसके होठों से कुछ फुसफुसाते हुए शब्द निकल रहे हैं। पूजा मौत के तांडव की कहानी बताते हुए कहती हैं कि सत्संग खत्म होते ही भीड़ खेतों से गुजर रही थी। यहां एक खेत, दूसरे से नीचे था। अचानक पीछे से भीड़ उमड़ी और लोग उसमें गिरने लगे। भीड़ का सैलाब ऐसा उमड़ा कि लोग गिरते चले गए। फिर भीड़ इस कदर बेकाबू हुई कि जो एक बार गिरा, वह उठ नहीं सका। भीड़ लोगों को रौंदते हुए गुजर गई। सत्संग सुनने आई पूजा बताती हैं कि गनीमत यह थी कि वह मौत के धक्के से थोड़ी दूरी पर थीं।

उनका कहना है कि सत्संग समाप्त होने के बाद बाबा मंच से उतरने लगा तो भीड़ भी तेजी से सत्संग स्थल से निकलने लगी। भीषण उमस से लोग पसीने से तर-बतर थे। अधिकांश लोग प्यास से व्याकुल थे। जल्दबाजी में कुछ लोग खेतों से निकलने लगे। इसी दौरान पीछे से भीड़ आई तो दो-तीन लोग गिर गए। इसके बाद दोबारा भीड़ उमड़ी और कुछ और लोग भी गिर गए। इसके बाद भीड़ इस कदर उमड़ी कि नीचे गिरे लोगों को रौंदते हुए गुजर गई।

वालंटियर ने बचाई जान

प्रत्यक्षदर्शी महिला राजनश्री का कहना है कि भीड़ का धक्का उन्हें भी लगा था, लेकिन वहां मौजूद एक वालंटियर ने संभाल लिया। इस कारण वह बच गईं। हमारे सामने ही एक बच्चा भीड़ के पैरों के नीचे आ गया। बच्चे को उठाने की कोशिश में दो-तीन लोग दब गए। उनके गांव से 35 महिलाएं सत्संग में आईं थीं। इनमें से कई महिलाओं के बारे में जानकारी नहीं मिल रही है।

हादसे के बाद अपनों को तलाशतीं रहीं आंखें

बाबा के अनुयायी सत्संग के लिए कई दिन से फुलरई में साफ सफाई करा रहे थे। मंगलवार सुबह आयोजन से पहले हजारों लोग पहुंच गए। हादसे के बाद गुबार थमा तो कई लोगों की मौत हो चुकी थी। इसके बाद तमाम स्वजन अपनों को तलाशते हुए नजर आए।

चप्पल उठाने को झुकी बेटी को भीड़ ने रौंद दिया

पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद कासगंज के गुड्डो देवी 20 वर्षीय बेटी प्रियंका के साथ सत्संग सुनने गईं थीं। सत्संग खत्म होने के बाद सभी लोग लौटने लगे। इसी दौरान भगदड़ मच गई। बेटी प्रियंका अपनी चप्पल उठाने के चक्कर में भीड़ में फंस गई। भीड़ का रेला बेटी को रौंदते हुए निकल गया। भीड़ गुजरी तो उनकी बेटी बुरी तरह जख्मी हो चुकी थी। बेहोश बेटी को लेकर वह अस्पताल पहुंचीं तो चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

हादसा या साजिश, दोषियों को नहीं छोड़ेंगे

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घटना की तह में जाएंगे और देखेंगे कि यह हादसा है या साजिश। प्रदेश सरकार पूरी घटना की जांच करा रही है। दोषियों को छोड़ेंगे नहीं। सीएम योगी हादसे के बाद सरकारी आवास पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर पल-पल की रिपोर्ट ले रहे थे।

पुलिसकर्मी से कथित बाबा बना सूरजपाल

पुलिसकर्मी से कथित बाबा बने सूरजपाल ने सत्संग के लिए ही एसआइ की नौकरी छोड़ी थी। वह अक्सर वर्दी में ही प्रवचन देने लगता था। महकमे में सवाल उठे तो उसने सत्संग में ही रमने का मन बना लिया। पिछले 17 वर्ष से वह सत्संग कर रहा था। वह नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के नाम से जरूर पुकारा जाता है, लेकिन मंच पर कोट-पैंट पहन कर ही पहुंचता था। साथ में पत्नी भी होती थी। उसकी एक झलक के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी।

उत्तर प्रदेश में कासगंज जिले के बहादुरनगर गांव के रहने वाले सूरजपाल के पिता किसान थे। प्रवचन के प्रति बचपन से ही उसकी रुचि थी। पुलिस में सिपाही के रूप में भर्ती हुआ और पदोन्नत होकर एसआइ बना। उत्तर प्रदेश के 12 थानों के अलावा लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआइयू) में भी तैनात रहा। नौकरी के दौरान भी वह प्रवचन देता रहता था।

बाबा नया नाम रखा नारायण साकार विश्व हरि

इस बात की चर्चा काफी होने लगी तो 18 वर्ष नौकरी करने के बाद पिछली सदी के नौवें दशक में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद प्रवचन-सत्संग शुरू कर दिया। इसके साथ ही नाम बदलने का निर्णय लिया। नया नाम रखा नारायण साकार विश्व हरि। उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं। बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं।

बाबा के पास अपनी टीम

बाबा की खुद की एक टीम है, जिसमें शामिल लोग काले रंग की पोशाक में रहते हैं। अनुयायियों में तमाम महिला-पुरुष ऐसे हैं, जो सत्संग में व्यवस्थाएं संभालने के लिए यूनीफार्म में आते हैं। जहां सत्संग होता है, वहां जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए बाबा के अनुयायी व्यवस्था संभालते हैं। पुलिस के साथ डंडा लेकर मुस्तैद खड़े नजर आते हैं।

बड़े-बड़े भक्त होने का दावा 

बाबा दावा करता था कि नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। उसके भक्तों में आइएएस और आइपीएस अफसर भी शामिल हैं। कई दिग्गज नेता उनके सत्संग में शामिल हो चुके हैं। उसके यूट्यूब चैनल के हजारों सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पर भी बाबा सक्रिय है।

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लाशों का ढेर देख सिपाही की हार्टअटैक से मृत्यु

हादसे के बाद एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। एटा के क्यूआरटी, अवागढ़ में तैनात सिपाही रजनेश ड्यूटी के बाद घर लौट रहे थे, तभी हादसे के कारण उनकी आकस्मिक ड्यूटी मेडिकल कालेज में लगा दी। मूल रूप से अलीगढ़ के 30 वर्षीय रजनेश ड्यूटी पर पहुंचे, और लाशों को उठाना शुरू कर दिया। इतनी लाश एक साथ देखकर उन्हें दिल का दौरा पड़ गया और मौके पर ही मृत्यु हो गई।

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