ये अंग्रेजों के जमाने का स्टेशन है..

संवाद सहयोगी, कोंच : नगर की प्राचीन धरोहरों में शुमार रेलवे स्टेशन अब सिर्फ कहने के लिए अं

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 11:12 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 11:12 PM (IST)
ये अंग्रेजों के जमाने का स्टेशन है..
ये अंग्रेजों के जमाने का स्टेशन है..

संवाद सहयोगी, कोंच : नगर की प्राचीन धरोहरों में शुमार रेलवे स्टेशन अब सिर्फ कहने के लिए अंग्रेजों के जमाने का स्टेशन रह गया है। न तो यहां सुविधाएं हैं और न ही संसाधन। हालात इतने खराब हैं कि स्टेशन पर पेयजल तक का प्रबंध नहीं है। वहीं अनदेखी व लापरवाही से रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हो गया है।

कोंच कस्बे के लोगों को अंग्रेजी के जमाने में ही रेल सुविधा मिल गई थी। यहां का स्टेशन आज भी नगर की प्राचीन धरोहरों में शुमार है। पूर्व में इसे औद्योगिक महत्व को देखते हुए अंग्रेजों ने 1905 में रेलवे स्टेशन, मालगोदाम बनवाने के साथ नगर के मुख्य बाजार मियागंज तक रेलवे लाइन बिछवाई थी। एक मॉल शेड भी यहां बनवाया था। स्टेशन के बाहर एक बहुत बड़ा भूख भाग खुला छोड़ दिया गया था।

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उपेक्षित हो गया रेलवे स्टेशन

रेलवे स्टेशन से आगे रेल लाइन बढ़ाने की योजनाएं कई बार बनीं लेकिन रफ्तार नहीं पकड़ सकीं। यहां स्टेशन का प्लेटफार्म इतना नीचा है कि कोई बुजुर्ग या महिला आसानी से ट्रेन पर नहीं चढ़ पाती। शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। किसी भी जनप्रतिनिधि ने एक वाटर कूलर तक लगवाने के लिए पहल नहीं की। देश में जहां स्वच्छता को लेकर अभियान चल रहा है वहीं स्टेशन पर प्रसाधन, शौचालय की व्यवस्था नहीं है।

अतिक्रमण पर भी कार्रवाई नहीं

रेलवे स्टेशन नगर के मध्य स्थित होने के कारण रेलवे की भूमि बेशकीमती हो गई है। रेलवे ने अपनी भूमि की सुरक्षा के लिए कोई चहारदीवारी नहीं बनवाई। इससे यहां तमाम लोगों ने कब्जा कर लिया है। मियागंज की ओर जाने वाली रेल लाइन को पूरा पाटकर उसके ऊपर सड़क का निर्माण कर लिया गया है। अन्य जगह के भी हालात खराब हैं। रेलवे स्टेशन के खाली पड़े भू-भाग पर रेलवे पार्क निर्माण के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर वाटर कूलर लगवाने एवं स्टेशन के विकास के लिए आग्रह किया है।

राकेश कुमार कौशिक, स्टेशन अधीक्षक

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