UP Board Toppers Story: मां ने छोड़ी दुनिया, पिता ने नहीं दिया साथ, अल्फिया ने 10वीं में किया कमाल
अल्फिया निर्मला कॉन्वेंट गर्ल्स इण्टर कॉलेज की छात्रा है। आवास विकास कालोनी की रहने वाली अल्फिया की उम्र महज 14 वर्ष है। वह जब 4 वर्ष की थी तब किडनी फेल होने के कारण मां रजिया का निधन हो गया था। रजिया को पति ने पहले ही छोड़ दिया था।
जागरण संवाददाता, झांसी : UP Board Toppers Story- वर्ष 2013 के आखिर में मां का निधन हुआ। इसके बाद पिता ने कभी सूरत नहीं देखी। अल्फिया तब सिर्फ 4 वर्ष की थी। इसके बाद भी अल्फिया ने हिम्मत नहीं हारी। बुरे हालात के बाद भी इस तरह पढ़ाई करती रही कि आज लोग उसके मेहनत और लगन की तारीफ कर रहे हैं। अल्फिया अजीम ने 10वीं कक्षा में लगभग 84 प्रतिशत अंक हासिल किये हैं।
अल्फिया निर्मला कॉन्वेंट गर्ल्स इण्टर कॉलेज की छात्रा है। आवास विकास कॉलनि की रहने वाली अल्फिया अजीम की उम्र महज 14 वर्ष है। वह जब 4 वर्ष की थी तब किडनी फेल होने के कारण माँ रजिया का निधन हो गया था। रजिया को पति ने पहले ही छोड़ दिया था। मां रजिया के निधन के बाद पिता ने अल्फ़िया से नाता तोड़ लिया।
निर्मला कॉन्वेण्ट स्कूल में जब एडमिशन हुआ तब अल्फिया के साथ न मां थी और न पिता। अल्फिया की परवरिश की जिम्मेदारी नाना और नानी ने उठाने की ठानी। नाना भी दुनिया से चल बसे। अकेली बची नानी शहनाज बेगम ही अल्फिया का सहारा बनी रहीं। नानी छोटा-सा खोखा चलाती हैं। कागज की थैली बनाकर बाजार में बेचती हैं। ब-मुश्किल 150 से 200 रुपये तक कमा पाती हैं। नानी शहनाज किसी तरह अल्फिया की परवरिश करती रहीं।
अल्फिया ने नानी को निराश नहीं किया, उसका मन पढ़ाई में खूब रमा। और 10वीं में 84.17 प्रतिशत अंक हासिल किए। अल्फिया ने हिन्दी में 94, अंग्रेज़ी में 89, गणित में 86 अंक प्राप्त किये हैं। अल्फिया की नानी बताती हैं कि अल्फिया के मुंह बोले मामू जीशान अख्तर ने शुरू से अब तक के सफर में खूब साथ दिया। लगातार आर्थिक सहयोग जारी रखा।
निर्मला कॉन्वेण्ट में पहली क्लास में अल्फिया का एडमिशन भी जीशान ने ही कराया था। पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े जीशान के सहयोग के चलते पढ़ाई खर्च की बहुत अधिक चिन्ता नहीं करनी पड़ी।
‘जागरण’ ने अल्फिया की माँ के लिए चलाया था अभियान
अल्फिया की माँ रजिया की वर्ष 2012 में किडनी फेल हो चुकी थी, लेकिन आर्थिक स्थिति उपचार कराने लायक नहीं थी। तब किसी तरह रजिया ‘जागरण’ के सम्पर्क में आई। रजिया के आर्थिक सहयोग के लिए ‘जागरण’ ने अभियान चलाया था।
अभियान का असर था कि कई लोग रजिया की मदद के लिए आगे भी आये थे। एम्स में किडनी ट्रांसप्लाण्ट के लिए समय भी मिल गया था। शहनाज़ ने अपनी बेटी रजिया को एक किडनी देने का फैसला किया था, लेकिन इससे पहले ही रजिया ने दुनिया छोड़ दी थी।