गाजियाबाद की कंपनी का आयकर विभाग में दावा, दिल्ली से भेजे 1.40 करोड़ के बैग के हर मूवमेंट पर थी नजर

गाजियाबाद की टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कंपनी बी-4 एस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने जीआरपी से रुपयों पर दावा किया था। जीआरपी पूरी रकम आयकर विभाग को सौंप चुकी है। अभी तक सामने नहीं आया है कि रुपये भेजने का मकसद क्या था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 16 Mar 2021 01:58 PM (IST) Updated:Tue, 16 Mar 2021 01:58 PM (IST)
गाजियाबाद की कंपनी का आयकर विभाग में दावा, दिल्ली से भेजे 1.40 करोड़ के बैग के हर मूवमेंट पर थी नजर
कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन में ट्रेन में मिली थी रकम।

कानपुर, जेएनएन। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में मिले 1.40 करोड़ रुपये पर गाजियाबाद की कंपनी ने अब आयकर विभाग में भी अपना दावा ठोक दिया है। कंपनी को अब दस दिन के अंदर साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। दिल्ली से चले नोटों से भरे बैग पर हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी। लेकिन, अभी यह रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इतनी बड़ी रकम इस तरह भेजने का मकसद क्या था। यह तो आरपीएफ और जीआरपी की जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

पिछले माह 15 फरवरी देर रात स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की पेंट्री कार में रखे एक बैग में 1.40 करोड़ रुपये के नोट मिले थे। जीआरपी और पुलिस के अधिकारियों का मानना है कि ट्रेन से लेकर सूटकेस तक के एक-एक मूवमेंट पर कोई व्यक्ति नजर रख रहा था। उसे मालूम था कि ट्रेन किस समय आने वाली है। यह सूचना वह दो-तीन घंटे पहले भी दे सकता था, पर ट्रेन के आने के 10 मिनट पहले इसलिए दी गई ताकि हड़बड़ी में बिना कुछ ज्यादा तहकीकात किए सूटकेस उस व्यक्ति के हाथ तक पहुंच जाए, जिसे लेकर उसे आगे जाना था।

इस तरह स्टेशन पर चलता रहा ट्राली बैग

डिप्टी एसएस कार्यालय से यह बैग पहले कंट्रोल रूम पहुंचा। ये दोनों आफिस स्टेशन के अंदर की ओर हैं और यहां आने वाला सीसीटीवी के दायरे में आ जाता। इसलिए सूटकेस बाहर पहुंचाने के लिए कहा गया। इसके बाद यह ट्राली बैग झांसी टीटी रेस्ट रनिंग रूम में पहुंचा दिया गया। यह आफिस स्टेशन के बाहरी तरफ है और वहां सीसीटीवी कैमरे में आने का खतरा नहीं था। वहां यह संदेश दिया गया कि जब कोई सूटकेस लेने आए तो फोन पर बात जरूर कराना। सुबह छह बजे पैंट-शर्ट पहने करीब 25 वर्ष का युवक आया और उसने वहां बाहर ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से सवाल किया कि क्या ट्रेन से साहब का कोई सूटकेस आया है। इस पर कर्मचारी सूटकेस ले आया, लेकिन जब उसका फोन नंबर पूछा तो उसने फोन होने से मना कर दिया। इस पर कर्मचारी सूटकेस यह कहकर वापस अंदर ले गया कि बता कर आता हूं कि सूटकेस लेने आ गए हैं। दोबारा कर्मचारी लौटा तो युवक फंसने के डर से जा चुका था।

गाजियाबाद की कंपनी ने पेश किया दावा

12 दिन बाद गाजियाबाद की टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कंपनी बी-4 एस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने जीआरपी से इन नोटों पर अपना दावा किया था। हालांकि कंपनी के अधिकारी कभी जीआरपी के सामने नहीं आए। यह राशि आयकर के कब्जे में है, ऐसे में कंपनी ने आयकर विभाग को भी मेल भेजकर रुपये अपने होने की बात कही है। आयकर अधिकारियों ने कंपनी से कहा है कि वह इस राशि के साक्ष्य पेश करे। हालांकि एक माह के बाद भी कंपनी का कोई व्यक्ति सामने नहीं आया है। आयकर अधिकारियों के मुताबिक यह स्थिति संदेह पैदा करती है। अगर किसी व्यक्ति के कुछ लाख रुपये भी फंस जाते हैं तो वह अगले ही दिन भागा भागा आता है, लेकिन इतने रुपये होने के बाद भी सामने कोई नहीं आ रहा।

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