महात्मा गांधी ने आत्मकथा में बताया था अपना राजनीतिक गुरु, पढ़िए... गोपाल कृष्ण गोखले को लिखे पत्र के अंश

गोपाल कृष्ण गोखले स्वतंत्रता सेनानी विचारक समाज सुधारक रहे हैं। उनकी जन्म जयंती (9 मई) को है। महात्मा गांधी ने आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु सलाहकार व मार्गदर्शक बताया।

By Abhishek VermaEdited By:
Updated: Sun, 08 May 2022 09:28 AM (IST)
महात्मा गांधी ने आत्मकथा में बताया था अपना राजनीतिक गुरु, पढ़िए... गोपाल कृष्ण गोखले को लिखे पत्र के अंश
स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले की जन्म जयंती (9 मई) को है।

शब्द रहेंगे साक्षी

महात्मा के मार्गदर्शक

महात्मा गांधी ने आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु, सलाहकार व मार्गदर्शक बताया। गांधी जी को अहिंसा के जरिए आंदोलन की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी। स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले की जन्म जयंती (9 मई) पर पढ़िए महात्मा गांधी का उनको लिखा पत्र...

21-24 कोर्ट चेंबर्स

नुक्कड़, रिसिक एंड एंडर्सन स्ट्रीट्स,

पो. आ. बाक्स 6522, जोहांसबर्ग

जनवरी 13, 1905

सेवा में

माननीय प्रोफेसर गोखले

पूना

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

यह तो आप जानते हैं कि इंडियन ओपिनियन प्रकाशित हो रहा है। अब यह एक ऐसा कार्यक्षेत्र अपना रहा है, जिसमें मैं अपने विचार से आपकी सक्रिय सहानुभूति के लिए औचित्यपूर्वक प्रार्थना कर सकता हूं। मैं आपको सब कुछ साफ-साफ लिखना चाहता हूं, क्योंकि आप मुझे इतनी अच्छी तरह जानते हैं कि गलतफहमी नहीं हो सकती। जब मैंने देखा कि श्री मदनजीत बिना आर्थिक सहायता के पत्र को और नहीं चला सकते और चूंकि मैं जानता था कि वे पूर्णरूपेण देशभक्ति की भावना से प्रेरित हैं, मैंने अपनी बचत का अधिकांश उन्हें सौंप दिया। किंतु यह काफी नहीं हुआ, अत: तीन महीने पहले मैंने सारी जिम्मेदारी और व्यवस्था ले ली। हालांकि श्री मदनजीत अब भी इसके मालिक-प्रकाशक हैं, क्योंकि मेरा विश्वास है कि उन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया है।

फिलहाल मेरा अपना दफ्तर इंडियन ओपिनियन के काम में लगा है और मुझ पर लगभग 3,500 पौंड की जिम्मेदारी आ चुकी है। कुछ अंग्रेज मित्रों के सामने, जो मुझे घनिष्ठ रूप से जानते हैं, मैंने संलग्न पत्र में वर्णित योजना रखी। उन्होंने विचार को उठा लिया और इस समय उस पर पूरी तरह अमल किया जा रहा है। यद्यपि इसमें फग्यळर््सन कालेज, पूना के संस्थापकों के आत्मत्याग के मुकाबले का आत्मत्याग दिखाई नहीं पड़ता, फिर भी मैं कह सकता हूं कि यह उनका बुरा अनुकरण नहीं है। अंग्रेज मित्रों को इस निर्भयता से सामने आते देखना मेरे लिए एक बड़ी ही खुशी की बात हुई है। वे साहित्यिक नहीं हैं किंतु खरे, ईमानदार और स्वतंत्र विचार के लोग हैं।

इनमें एक-एक का अपना काम या धंधा था और वह ठीक तरह चल रहा था। फिर भी उनमें से किसी ने केवल निर्वाह-खर्च लेकर कार्यकर्ता की तरह सामने आने में तनिक सा भी आगा-पीछा नहीं किया। जिसका अर्थ यह है कि सुदूर भविष्य में लाभ होने की आशा से उन्होंने अभी तीन पौंड प्रतिमास लेना स्वीकार किया है।

यदि मुझे आमदनी होती रही तो मेरा यह भी इरादा है कि एक ऐसी पाठशाला खोलूं जो दक्षिण अफ्रीका में किसी से कम न हो और जो मुख्यतया भारतीय बच्चों के और फिर दूसरे बच्चों के शिक्षण के लिए हो। ये सब बच्चे पाठशाला के अहाते में बने छात्रावास में ही रहेंगे। इसके लिए भी स्वेच्छा से सामने आने वाले दो कार्यकर्ताओं की जरूरत है। यहां एक अथवा दो अंग्रेज पुरुषों और स्त्रियों को इस काम में अपना जीवन लगाने को प्रेरित किया जा सकेगा। किंतु भारतीय शिक्षकों की आवश्यकता अनिवार्य है। क्या आप ऐसे किन्हीं दो स्नातकों को प्रेरित कर सकेंगे, जिनमें पढ़ाने की योग्यता हो, जिनका चरित्र निष्कलंक हो और जो केवल निर्वाह खर्च पर काम करने को तैयार हो जाएं? जो आना चाहें वे पहले दर्जे के जांचे-परखे व्यक्ति होने चाहिए। मुझे कम से कम दो या तीन व्यक्ति चाहिए। किंतु ज्यादा की गुंजाइश भी निकाली जा सकती है।

जब पाठशाला चलने लगेगी तब स्वच्छता के आधार पर खुले में चिकित्सा के लिए एक आरोग्य-सदन जोड़ने का भी इरादा है। किंतु मेरा तात्कालिक उद्देश्य इंडियन ओपिनियन को लेकर है। मैंने उसके बारे में जो कहा है यदि आप उसको ठीक समझें तो कृपया संपादक के नाम प्रकाशन के लिए एक उत्साहवर्धन पत्र भेजें और यदि कुछ समय निकाल सकें तो उसके लिए कभी-कभी छोटा ही सही, लेख भेजते रहें।

मैं ऐसे अवैतनिक अथवा वैतनिक संवाददाताओं के लिए भी चिंतित हूं जो अंग्रेजी, गुजरातीर्, ंहदी और तमिल में साप्ताहिक टिप्पणियां दें। यदि यह महंगा हो जाता है तो मुझे कदाचित् केवल अंग्रेजी टिप्पणियों से संतुष्ट होना पड़ेगा -उनका अनुवाद तीनों भारतीय भाषाओं में किया जा सकेगा। क्या आप ऐसा या ऐसे कोई संवाददाता सुझा सकेंगे?

भारतीय प्रश्न को लेकर आपकी तरफ क्या कुछ किया जा रहा है? साप्ताहिक टिप्पणियों में, समाचार पत्रों से तत्संबंधी विज्ञप्तियों के अंश लेकर, इसका अंदाज देना चाहिए और उनमें ऐसी बातें होनी चाहिए, जो दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों को दिलचस्प लग सकें। पत्र में लिखे गए विषय के हित में यदि आवश्यक जान पड़े तो आप अपनी मर्जी के मुताबिक पत्र की बातें पूरी या अंशत: जाहिर कर सकते हैं।

मैं आशा करता हूं कि आप स्वस्थ होंगे।

आपका विश्वस्त,

मो. क. गांधी