घर बनाने के लिए सीएम योगी ने दिए निर्देश, जल्द ही उत्तर प्रदेश में लागू की जाएगी नई पॉलिसी, इनको मिलेगा फायदा

घर बनाने के लिए प्रयुक्त होने वाली बालू और मौरंग के स्थान पर योगी सरकार एम सैंड का विकल्प ला रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खनन विभाग की प्रस्तावित नीति पर चर्चा की। सीएम योगी ने एम सैंड को बाजार में उतारने और इसके प्रयोग के प्रोत्साहन के निर्देश दिए हैं। योगी सरकार की इस नीति की उद्देश्य पर्यावरण और नदियों के इकोसिस्टम को बचाना है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav Publish:Sat, 29 Jun 2024 06:28 PM (IST) Updated:Sat, 29 Jun 2024 06:28 PM (IST)
घर बनाने के लिए सीएम योगी ने दिए निर्देश, जल्द ही उत्तर प्रदेश में लागू की जाएगी नई पॉलिसी, इनको मिलेगा फायदा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खनन विभाग की प्रस्तावित नीति पर चर्चा की।

HighLights

  • मुख्यमंत्री बोले पर्यावरण व नदियों के इकोसिस्टम को बचाना भी है जरूरी
  • वाहनों में ओवरलोडिंग पर हो कड़ी कार्रवाई, जिलों से ही जारी हो परिवहन परमिट

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राकृतिक बालू व मौरंग के स्थान पर ‘एम-सैंड’ (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार शीघ्र ही ‘एम-सैंड’ नीति लागू करने जा रही है। यह बालू-मौरंग के नए विकल्प के रूप में बाजार में उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण व नदियों के इकोसिस्टम को बिना नुकसान पहुंचाए सस्टेनेबल विकास को गति दी जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को खनन विभाग की प्रस्तावित नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती मांग के दृष्टिगत ‘एम-सैंड’ बालू-मौरंग के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे। 

बालू-मौरंग की तुलना में सस्ती होगी ‘एम-सैंड’

‘एम-सैंड’ की गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना जरूरी है क्योंकि इसमें जीवन और संपत्ति की सुरक्षा शामिल है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी ‘एम-सैंड’ निर्माता अपने उत्पाद के लिए बीआईएस प्रमाणीकरण अनिवार्य रूप से प्राप्त करें। 

नोडल विभाग के रूप में खनन विभाग ‘एम-सैंड’ के शीघ्र उत्पादन के लिए राज्य/जिला स्तर पर लाइसेंसधारकों व हितधारकों से समन्वय स्थापित कराए। आम जनता को ‘एम-सैंड’ बालू-मौरंग की तुलना में सस्ती व सुविधाजनक रूप से मिल जाए, इसके लिए प्रयास किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने खनन पट्टा धारकों की सुविधा के लिए ई-परिवहन परमिट (ईएमएम-11) जिलों से ही जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि इसके जारी करने की एक समय सीमा तय होनी चाहिए। निदेशालय से इसकी निगरानी की जाए। 

टास्क फोर्स और प्रभावी बनाने के निर्देश

वर्तमान में खनिज परिवहन से जुड़े वाहनों की ओवरलोडिंग रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने जिलों में टास्क फोर्स और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। कहा कि ओवरलोडिंग रोकने के लिए सबसे बेहतर है जीरो प्वाइंट, पर कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बालू-मौरंग के परिवहन की जांच करते समय व्यवहारिकता के साथ कार्य करें, अनावश्यक रूप से आम जन का उत्पीड़न न हो।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उपखनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन पर ई-परिवहन परमिट तब ही जारी हो जब वह वाहन खनन क्षेत्र की जियो फेंस एरिया में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो। 

योगी ने कहा कि ईंट भट्ठे लगाए जाने के लिए उर्वर भूमि के स्थान पर बंजर भूमि का ही उपयोग किया जाए। इसके लिए इस क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों से संवाद करें। मुख्यमंत्री ने बरसात के मौसम में बालू-मौरंग की कीमतों को नियंत्रित रखने पर जोर देते हुए कहा कि इनके भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। 

अधिकारियों ने बताया गया कि वर्ष 2023-24 में जहां 533 भंडारण स्थल थे। वहीं इस सत्र में 645 भंडारण स्थल हैं। पिछले वर्ष की तुलना में भंडारण की मात्रा में भी वृद्धि हुई है।

क्या है ‘एम-सैंड’

बालू व मौरंग की कमी को देखते हुए अब सरकार इसके विकल्प के तौर पर ‘मैन्युफैक्चर्ड सैंड’ यानी निर्मित रेत (एम-सैंड) के उपयोग को प्रोत्साहित करने जा रही है। खनन के दौरान निकलने वाले अनुपयोगी पत्थरों को पीसकर कृत्रिम बालू बनाई जाएगी। बड़े कठोर पत्थरों, मुख्य रूप से चट्टानों या ग्रेनाइट को भी बारीक कणों में पीसकर इसे बनाया जाता है। इसमें प्राकृतिक बालू के समान ही गुण होते हैं।

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