New Criminal Law: अब दो घंटे से अधिक थाने में नहीं बैठा सकेगी पुलिस, न्याय की राह भी होगी आसान; जानिए नए कानून की कुछ नई बातें

एक जुलाई से पूरे देश में नया आपराधिक कानून लागू हो गया है। इसे लेकर कहीं-कहीं विरोध तो कहीं-कहीं सराहना हो रही है। नया होने की वजह से अभी इस कानून को समझने में लोगों को दिक्कतें आ रही है। वहीं सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित विचार विमर्श में सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएन श्रीवास्तव ने एक जुलाई से लागू तीन नए कानूनों से होने वाले बदलाव पर चर्चा की।

By Jagran NewsEdited By: Riya Pandey Publish:Tue, 02 Jul 2024 06:13 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jul 2024 06:13 PM (IST)
New Criminal Law: अब दो घंटे से अधिक थाने में नहीं बैठा सकेगी पुलिस, न्याय की राह भी होगी आसान; जानिए नए कानून की कुछ नई बातें
तीन नए आपराधिक कानून से होने वाले बदलाव पर दैनिक जागरण कार्यालय में सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएन श्रीवास्तव ने किया विमर्श

HighLights

  • नए कानून से जल्दी निपटेंगे मुकदमे
  • न्याय पाने की राह होगी आसान

जागरण संवाददाता, लखनऊ। New Criminal Law: अब पुलिस किसी भी व्यक्ति को दो घंटे से अधिक थाने में बेवजह नहीं बैठा सकेगी। अगर किसी को गिरफ्तार करके लाती है तो उस व्यक्ति का विवरण थाने और जिला मुख्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना होगा। इससे उसके परिवार और रिश्तेदार आसानी से सूचना पा सकेंगे। उसे तुरंत मदद मिल सकेगी।

इसके साथ ही अगर पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो संबंधित व्यक्ति को अधिकार होगा कि वह अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को इसकी सूचना दे सकेगा। अब आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत 156 (3) में सिर्फ अधिवक्ता के कहने पर कोर्ट किसी पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश नहीं देगी। इससे पहले संबंधित व्यक्ति का पक्ष भी सुना जाएगा।

तीन नए कानूनों से होने वाले बदलाव पर चर्चा

सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित विचार विमर्श में सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएन श्रीवास्तव ने एक जुलाई से लागू तीन नए कानूनों से होने वाले बदलाव पर चर्चा करते हुए बताया कि पुराने कानून में कई तरह से दुरुपयोग भी होता था। इस तरह के घिसे-पिटे पुराने कानून को हटाकर जेल के बोझ और मुकदमे को कम किया जा सकेगा।

उन्होंने तीन नए आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम) के लागू होने को एक ऐतिहासिक बदलाव बताया।

नए कानून से न्यायिक प्रक्रिया होगी सरल

नए कानून से न्यायिक प्रक्रिया सरल होगी। मुकदमे जल्दी से निपटाए जा सकेंगे। नए कानून में सिर्फ दंड देने की बात नहीं है। नागरिकों को न्याय देना भी इसका मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने बताया पुराने आइपीसी 1860 का उद्देश्य सिर्फ सजा देना था, जबकि कानून में केवल सजा देना ही न्यायोचित व्यवस्था नहीं है। नए कानून में सामाजिक न्याय, सामाजिक सुरक्षा को जगह मिली है।

कानून में अब राजद्रोह और अन्य अपराधों में सुधार करते हुए देशद्रोह को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कानून में आतंकवाद और उसके अपराध को परिभाषित किया गया है।

मॉब लिचिंग के मामले में नया सेक्शन शामिल

मॉब लिचिंग के मामले में नया सेक्शन शामिल किया गया है। अगर गवाही में ऐसे मामले में संलिप्तता पाई जाती है तो कठोर सजा का प्रावधान भी है। हिट एंड रन केस का भी नए कानून में संज्ञान लिया गया है। इसमें सजा का प्रावधान किया गया है। दंड कानूनों में परिवर्तन करते हुए छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में शामिल किया गया है।

नए कानून की कुछ नई बातें

आतंकवादी, हत्या, रेप सहित संगठित अपराध में आरोपित को हथकड़ी लगाने की अनुमति। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन की प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखनी होगी। पुलिस के साथ कोर्ट के लिए समय सीमा तय कर दी गई है। गवाहों को कहीं से भी आडियो और वीडियो माध्यम से बयान दर्ज कराने का विकल्प रहेगा। इससे बगैर किसी डर के गवाह अपनी बात रख सकेगा। पीड़ित व्यक्ति कहीं से भी एफआइआर दर्ज करा सकेगा। तलाशी, जब्ती के मामले में वीडियोग्राफी होगी। अपराध अर्जित संपत्ति को उससे प्रभावित लोगों में बांटने का भी प्रावधान किया गया है। दंड में जुर्माना और जेल भेजने दोनों का प्रावधान रहेगा। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति से ही गिरफ्तार कर सकेगी।

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